चेतावनी: भुजबल ने कहा- ओबीसी समाज के लिए नहीं है मंत्री पद की परवाह, नुकसान भुगतने को तैयार
- भुजबल को राजनीतिक भविष्य की चिंता नहीं
- फिर ओबीसी आरक्षण की मांग दोहराई
- समाज के लिए राजनीतिक नुकसान भुगतने के लिए भी तैयार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने एक बार फिर ओबीसी आरक्षण की मांग दोहराई है। शनिवार को मीडिया से बातचीत में भुजबल ने कहा कि उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता नहीं है। जो लोग ओबीसी सभाओं का विरोध कर रहे हैं, उन्हें अभी यह पता नहीं है कि ओबीसी उन लोगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। भुजबल ने कहा कि मुझे अपने मंत्री पद की परवाह नहीं है। मैं अपने समाज के लिए राजनीतिक नुकसान भुगतने के लिए भी तैयार हूं। बीड में मराठा आंदोलनकारियों ने लोगों के घरों में, होटलों में आग लगा दी थी। लोगों की जान खतरे में पड़ गई और पुलिस हताश हो गई थी। लेकिन आंदोलन को छुपाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण का प्रयास नेहरू के काल के दौरान शुरू हुआ था जो अभी भी जारी है। उन्होंने बीड में ओबीसी सभा में एक बार फिर कहा कि ओबीसी आरक्षण के लिए अंतिम दम तक लड़ते रहेंगे।
इससे पहले तो ओबीसी अफसरों की संख्या पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार और राज्य के खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल आमने-सामने आ गए थे। सरकार में ओबीसी अफसरों के आंकड़े को लेकर अजित और भुजबल में तीखी नोकझोक हो गई थी। दरअसल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ओबीसी और घुमंतु जाति व जनजाति समाज के संगठनों के साथ बैठक बुलाई थी। इसमें उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य के अन्य पिछड़ा बहुजन कल्याण मंत्री अतुल सावे, राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बबनराव तायवाडे सहित कई मंत्री और अधिकारी मौजूद थे। लगभग तीन घंटे चली बैठक में ओबीसी समाज की विभिन्न मांगों पर चर्चा हुई थी।
मामला
मराठवाडा के मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए शिंदे समिति का गठन किया था। इस पर ओबीसी संगठनों ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि मराठा समाज के सभी लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र नहीं देना चाहिए। इसको लेकर बीते 16 सितंबर को नागपुर के संविधान चौक पर राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ और सर्वदलीय ओबीसी कुनबी महासंघ का सामूहिक अनशन शुरू किया गया था।
चंद्रपुर में रवींद्र टोंगे भी अनशन पर बैठे थे। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने ओबीसी संगठनों की बैठक बुलाई थी। सूत्रों के अनुसार उस बैठक में भुजबल ने कहा था कि ओबीसी आरक्षण के अनुपात में सरकारी विभागों में भर्ती नहीं हो रही है। इसकी बजाय ओबीसी के पदों पर सामान्य वर्ग के लोगों की नियुक्ति की जा रही है। ओबीसी की 5.25 लाख सीटें हैं तो 6.25 लाख सीटों पर भर्ती कैसे हो गई? इस पर उपमुख्यमंत्री अजित ने भुजबल के आंकड़ों को लेकर आपत्ति जताई थी। अजित ने अफसरों से पूछा था कि क्या सचमूच ऐसा है? गलत आंकड़े पेश करना उचित नहीं है।