अदालत से राहत: भीमा कोरेगांव मामला - नवलखा को चार साल बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
- भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुनवाई
- आरोपी गौतम नवलखा को जमानत मिली
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा को जमानत दे दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नवलखा की जमानत पर बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक की अवधि बढ़ाने में कोई कारण नजर नहीं आ रहा है। हाईकोर्ट का आदेश विस्तृत है और मुकदमे को अंजाम तक पहुंचने में काफी वक्त लगेगा। जस्टिस एमएस सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ हाई कोर्ट के दिसंबर 2003 के आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान पीठ ने कहा कि नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में बंद है, लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं और इस वजह से ट्रायल में काफी वक्त लगेगा। इसलिए इस पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा किए बिना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं है।
हाउस अरेस्ट का 20 लाख रुपये खर्च चुकाना होगा
पीठ ने बीते 9 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा यह बताने के बाद कि नवलखा पर एजेंसी का लगभग 1.64 करोड़ रुपये बकाया है, कहा था कि नवलखा अपने घर की गिरफ्तारी के लिए सुरक्षा लागत का भुगतान करने के अपने दायित्व से बच नहीं सकते।
आज सुनवाई के दौरान राजू ने दावा किया कि नवलखा का बकाया बढ़कर 1.75 करोड़ रुपये हो गया है। इसके जवाब में जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि नवलखा लंबे समय से जेल में बंद है। उन्होंने रोक हटाने का सुझान दिया क्योंकि इससे बढ़ते बकाया का मुद्दा भी हल हो जाएगा। नवलखा की ओर से अधिवक्ता स्तुति राय और वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने लंबित बकाया का विरोध किया। इसके बाद पीठ ने नवलखा को जमानत देने के साथ उन्हें हाउस अरेस्ट के दौरान मिली सुरक्षा के लिए 20 लाख रुपये चुकाने का आदेश दिया और एनआईए द्वारा दी गई चुनौतियों को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।