Bhandara News: 2014 में तीनों सीटें पाने वाली भाजपा 2019 में खाता भी नहीं खोल पाई

  • भाजपा को 2019 में काफी तगड़ा झटका लगा
  • साख बचाने के लिए इस बार पार्टी के प्रत्याशी की जीत आवश्यक हो चुकी है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-24 07:35 GMT

Bhandara News : सागर भांडारकर | 2014 में मोदी लहर के दौरान जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर नए उम्मीदवार उतारकर विजय का परचम फहराने वाली भाजपा को 2019 में काफी तगड़ा झटका लगा। भाजपा ने 2019 में भंडारा, साकोली व तुमसर विधानसभा सीट पर फिर एक बार नए उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन इन तीनों को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2019 में जीती हुई सांसद की सीट भी भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में गंवा दी। इस बार शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजित पवार गुट) के साथ गठबंधन के कारण भाजपा जिले में केवल एक या दो सीटों पर ही अपने पार्टी के उम्मीदवार उतार पाएगी और साख बचाने के लिए इस बार पार्टी के प्रत्याशी की जीत आवश्यक हो चुकी है।

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे। तब पार्टी ने भंडारा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से एड.रामचंद्र अवसरे, तुमसर क्षेत्र से चरण वाघमारे तथा साकोली क्षेत्र से बाला (राजेश) काशिवार को टिकट दी। उस समय पार्टी के पास जिले का नेतृत्व करने के लिए तत्कालीन सांसद नाना पटोले थे। इस पार्टी ने तीनों सीटें जीत लीं। तब गोंदिया–भंडारा के सांसद व तीनों विधायक भाजपा के ही थे। लेकिन समय बदला और पार्टी की अंद्ररूनी कलह के चलते नतीजे विपरीत रहे। वर्ष 2019 में भाजपा ने जिले की तीनों सीटें गंवा दीं। साकोली सीट पर डॉ.परिणय फुके को कांग्रेस के नाना पटोले ने, भंडारा सीट पर अरविंद भालाधरे को निर्दलीय उम्मीदवार नरेंद्र भोंडेकर ने तथा प्रदीप पडोले को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राजू कारेमोरे ने पराजित कर दिया।

अब भाजपा महायुति का हिस्सा है और ऐसी स्थिति में जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर वह अकेले चुनाव नहीं लड़ पाएगी। भंडारा व तुमसर सीट पर सहयोगी दल दावा कर चुके हैं। साकोली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में इस बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित) ने अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का मंसूबा बनाया है। ऐसी स्थिति में भाजपा तीनों सीट पर दावा नहीं कर पाएगी। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सुनील मेंढे के हारने के बाद पार्टी के पास जिले में जनता से चुना हुआ कोई वरिष्ठ नेता भी नहीं है।

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