लाभार्थियों को सीधे घर पर मिलेगा संजय गांधी निराधार योजना का अनुदान
- वार्षिक आय की सीमा को 21 हजार से बढ़ाकर 50 हजार किया जाएगा
- पोस्टल बैंक के जरिए दी जाएगी राशि
- विधान परिषद में विशेष सहायता मंत्री मुश्रीफ ने दी जानकारी
डिजिटल डेस्क, मुंबई. प्रदेश सरकार के संजय गांधी निराधार योजना के लाभार्थियों को अनुदान भारतीय डाक भुगतान बैंक (पोस्टल बैंक) के जरिए सीधे घर पर उपलब्ध कराया जाएगा। इससे लाभार्थियों को अनुदान की राशि लेने के लिए हर महीने बैंक में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही इस योजना के लाभ के लिए सालाना 21 हजार रुपए की आर्थिक आय की मर्यादा को बढ़ाकर 50 हजार रुपए किया जाएगा। विधान परिषद में प्रदेश के विशेष सहायता मंत्री हसन मुश्रीफ ने यह जानकारी दी। गुरुवार को सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस सदस्य सतेज पाटील ने संजय गांधी योजना के लाभार्थियों को बैंक के बजाय सीधे घर पर अनुदान उपलब्ध कराने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बैंक से अनुदान लाने के लिए गांवों के किसी व्यक्ति को 100 रुपए देना पड़ता है। इससे लाभार्थियों को आर्थिक नुकसान होता है। इसके जवाब में मुश्रीफ ने कहा कि लाभार्थियों को अनुदान के लिए बैंक में बार-बार जाने में परेशानी होती है। इसलिए पोस्टल बैंक के जरिए अनुदान उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी।
मुश्रीफ ने कहा कि राज्य में जिन लोगों का अनुदान बंद हो गया है। उन्हें दोबारा अनुदान शुरू करने के बारे में विचार किया जाएगा। मुश्रीफ ने बताया कि राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार अथवा सालाना 21 हजार रुपए आर्थिक आय वाले परिवारों को प्रति महीने 1 हजार 500 रुपए अनुदान दिया जाता है। राज्य में संजय गांधी योजना के 41 लाख लाभार्थी हैं। इस योजना पर प्रति वर्ष 7 हजार करोड़ रुपए खर्च होता है। मुश्रीफ ने कहा कि संजय गांधी योजना के सभी लाभार्थियों को राशन उपलब्ध कराने के लिए अंत्योदय अन्न योजना में शामिल करने के बारे में विचार किया जाएगा। इसके लिए राज्य के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल से चर्चा की जाएगी।
फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए लोग ले रहे योजना का लाभ - खडसे
इस बीच, राकांपा (शरद गुट) के सदस्य एकनाथ खडसे ने सवाल उठाते हुए कहा कि संजय गांधी निराधार योजना के 41 लाख लाभार्थियों के आय प्रमाणपत्र की जांच की जानी चाहिए। प्रदेश में 41 लाख लाभार्थियों की सालाना आय केवल 21 हजार रुपए हो सकती है क्या? यदि ऐसा है तो महाराष्ट्र का नाम अति दरिद्रता वाली सूची में आना चाहिए। यह प्रदेश के लिए शोभनीय बात नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य में फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए लोग योजना का लाभ ले रहे हैं। इससे बेहतर है कि सरकार को वार्षिक आय की सीमा बढ़ा देनी चाहिए। इस पर मुश्रीफ ने कहा कि मैं स्वीकार करता हूं कि सभी 41 लाख लाभार्थियों के आय प्रमाणपत्र सही नहीं होंगे। इसलिए सरकार योजना के लाभ के लिए वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर 50 हजार रुपए करेगी।