बॉम्बे हाईकोर्ट: न्यायाधीशों के फर्जी कॉल को लेकर रहें सतर्क, धोखाधड़ी मामले में वारंट जारी

  • न्यायाधीश होने के फर्जी कॉल, संदेश और टेक्स्ट मैसेज भेज कर लोगों से की जा रही पैसे की मांग
  • धोखाधड़ी मामले में वारंट जारी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-11 15:48 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एक नोटिस जारी न्यायाधीशों के फर्जी कॉल और मैसेज भेज कर धोखाधड़ी को लेकर लोगों सतर्क किया है। अदालत ने नोटिस में कहा कि धोखाधड़ी वाले कॉल और संदेशों के बारे में पुलिस को सूचित देने के साथ ऐसे आरोपियों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से कार्रवाई शुरू की गई है। आरोप है कि न्यायाधीश होने के लोगों को फर्जी कॉल, संदेश और टेक्स्ट मैसेज भेज कर पैसे की मांग की जा रही है। हाई कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के नाम पर कुछ कॉल किए जा रहे हैं, जिनमें लोगों से पैसे की मांग की जा रही है। हाई कोर्ट के अधीन काम करने वाले न्यायिक अधिकारियों को शामिल करते हुए टेक्स्ट मैसेज और लिंक भेज कर पैसे की मांग की जा रही है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि ऐसा लगता है कि कुछ अज्ञात व्यक्ति ये कॉल कर रहे हैं। न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के नाम से फर्जी पहचान वाले टेक्स्ट मैसेज और लिंक भेज रहे हैं। इसमें लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे ऐसे कॉल और टेक्स्ट मैसेज की जानकारी पुलिस को दें। न्यायालय प्रशासन स्वतंत्र रूप से ऐसे आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर रहा है। प्रशासन इस मामले को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास भी ले जा रहा है, लेकिन सावधानी के तौर पर और किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए नोटिस के माध्यम से सभी को सतर्क किया जा रहा है। यदि ऐसे कोई कॉल, टेक्स्ट मैसेज और लिंक किसी को प्राप्त होते हैं, तो वे जवाब न देने के अलावा नोडल अधिकारी राजेंद्र टी.वीरकर को उनके ईमेल पर भी सूचित करें

10 हजार से अधिक निवेशकों से 700 करोड़ की धोखाधड़ी का मामले में 3 आरोपियों के खिलाफ के खिलाफ वारंट जारी

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार सस्ते में फ्लैट झांसा देकर 10 हजार से अधिक लोगों से 700 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले की सीआईडी की जांच को लेकर नाराजगी जतायी। अदालत ने राज्य के गृह विभाग के सचिव को पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया कि आरोपियों की संपत्ति का पता लगाकर उसे अटैच क्यों नहीं किया गया? अदालत में गृह विभाग के उप सचिव सुग्रीव धावाड़े आन लाइन पेश हुए। अदालत ने धावाड़े से कहा कि वह 10 हजार से अधिक लोगों से धोखाधड़ी करने वाले कथित बिल्डरों की पूरी संपत्ति का पता लगाएं और उसे अटैच कर चार सप्ताह में इसकी जानकारी दें। अदालत ने इस मामले की जांच ठाणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से स्टेट सीआईडी को सौंप है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने प्रभुराम गिरी की ओर से वकील के.वाई.शेख की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील के.वाई.शेख ने दलील दी कि हजारों लोगों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी कर आरोपी फरार हैं। अभी तक उनकी प्रापर्टी को अटैच नहीं किया गया है। अब तक इस मामले में एक आरोपी केतन पटेल को गिरफ्तार किया है। जबकि धोखाधड़ी के मास्टर माइंड रमाकांत जाधव, नामदेव जाधव और सतीश पिलंगवाड फरार हैं। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। पीठ ने सीआईडी की ओर से पेश वकील प्राजक्ता शिंदे से पूछा कि फरार आरोपियों की प्रॉपर्टी अटैच क्यों नहीं की गई? शिंदे ने कहा कि सीआईडी मामले की जांच कर रही है। राज्य के गृह विभाग से आरोपियों के प्रॉपर्टी के विषय में जानकारी मांगी गई है। पीठ ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान आरोपियों की संपत्ति को पता लगा कर अटैच करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया। पीठ ने गृह विभाग के सचिव को लंच के बाद पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया। गृह विभाग के उप सचिव सुग्रीव धवाड़े अदालत में आन लाइन पेश हुए। पीठ ने उन्हें चार सप्ताह में आरोपियों की संपत्ति का पता लगा कर अटैच करने का निर्देश दिया।

क्या है पूरा मामला

शाहपुर के धसई गांव में कर्म रेजीडेंसी, शाहपुर के कसागांव में कर्म पंचतत्व और पालघर में केलवे रोड पर कर्म ब्रह्माण्ड आवासीय परियोजना के नाम पर 11 हजार 500 लोगों को सस्ते में फ्लैट देखा के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया है। इन बिल्डरों ने बड़े-बड़े विज्ञापन देकर लोगों को सस्ते में फ्लैट देने का झांसा देकर अपने जाल में फंसाया और उनसे फ्लैट बुकिंग के नाम पर करोड़ों रुपए लिए। उन्होंने कर्म रेजीडेंसी परियोजना के अंतर्गत चार सेक्टर 3140 फ्लैट, पालघर परियोजना में 5000 से अधिक फ्लैट और दुकान का निर्माण करना का लोगों को झांसा दिया था। इन परियोजनाओं को दिसंबर 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यह पूरी नहीं की गई। कर्म रेजीडेंसी ने जिन इमारतों का निर्माण किया है, उनकी हालत भी काफी खस्ता है।

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