होगा सर्वेक्षण: बेसलाईन सर्वे से पता चलेगा चर्मोद्योग ईकाईयों की हकीकत
- महाराष्ट्र में पहली बार होगा यह सर्वेक्षण
- आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में हो चुका है यह सर्वे
डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र में चमड़ा उद्योग को गति देने के लिए अब बेसलाइन सर्वे किया जाएगा। इससे चर्मोद्योग से जुड़ी इकाइयों की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा। राज्य सरकार के संत रोहिदास चर्मोद्योग और चर्मकार विकास महामंडल (लिडकॉम) ने बेसलाइन सर्वे कराने का फैसला लिया है। लिडकॉम केंद्र सरकार के केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई) के माध्यम से बेसलाइन सर्वे कराएगा। सीएलआरआई संस्थान तमिलनाडू के चेन्नई में स्थित है। गुरूवार को लिडकॉम के प्रबंध निदेशक धम्मज्योति गजभिये ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि बेसलाइन सर्वे करने का फैसला एक महत्वाकांक्षी योजना है। महाराष्ट्र में पहली बार बेसलाइन सर्वे कराया जाएगा। इसके लिए लिडकॉम के निदेशक मंडल की मंजूरी मिल गई है। लिडकॉम को सीएलआरआई ने बेसलाइन सर्वे के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट दे दिया है। अब बेसलाइन सर्वे के लिए लिडकॉम और सीएलआरआई के बीच जल्द ही करार होगा। गजभिये ने कहा कि सीएलआरआई महाराष्ट्र में चर्मोद्योग और चर्मकार समुदाय के विकास के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार करेगा। बेसलाइन सर्वे से महाराष्ट्र के प्रत्येक जिले की चर्मोद्योग क्षेत्र की जरूरत के बारे में पता चल सकेगा। देश के दूसरे राज्यों में चर्मोद्योग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इससे दूसरे राज्यों के बेहतर विकल्पों को महाराष्ट्र में लागू करने में मदद मिल सकेगी। ब्लू प्रिंट को लागू करने से चर्मोद्योग और चर्मकार समाज का कल्याण हो सकेगा। गजभिये ने कहा कि बेसलाइन सर्वे के लिए लगभग 42 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। लिडकॉम को राज्य सरकार शेयर पूंजी प्रदान करती है। इस लिए बेसलाइन सर्वे के लिए निधि की कोई कमी नहीं पड़ने दी जाएगी।
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में हो चुका है यह सर्वे
वहीं लिडकॉम के एक अधिकारी ने बताया कि तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्य बेसलाइन सर्वे करके चर्मोद्योग और फुटवियर के क्षेत्र में आगे बढ़ गए हैं। इसके मद्देनजर लिडकॉम ने बेसलाइन सर्वे कराने का फैसला लिया गया है। राज्य में चर्मोद्योग का बेसलाइन सर्वे के लिए तीन से चार महीने का समय लेगा।