हाईकोर्ट: एचआईवी पीड़ित प्रेमिका को जहर का इंजेक्शन देकर मारने के आरोपी को मिली जमानत
- आरोपी अस्पताल के वार्ड बॉय को हाईकोर्ट से मिली जमानत
- एचआईवी पीड़ित प्रेमिका को जहर का इंजेक्शन देकर मारा
- प्रेमिका आरोपी पर शादी के लिए डाल रही थी दबाव
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट से एचआईवी पीड़ित प्रेमिका को जहर का इंजेक्शन देकर मारने के आरोपी अस्पताल के वार्ड बॉय चंद्रकांत विठ्ठल गायकर को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं पाई गई। मृतक के मेडिकल रिपोर्ट में जहर नहीं पाया गया है। न्यायमूर्ति माधव जमादार की एकलपीठ के समक्ष वकील गणेश गुप्ता और चेतन भौड़ की ओर से चंद्रकांत विठ्ठल गायकर की दायर जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील गुप्ता ने दलील दी कि महिला एचआईवी पॉजिटिव थी और उसने आत्महत्या किया। महिला के मेडिकल रिपोर्ट जहर नहीं पाया गया है। यह मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। इसलिए याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा होने का हकदार है। सरकारी वकील देवकर ने याचिकाकर्ता की जमानत आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि गायकर एक अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में काम कर रहा था। उसका महिला के साथ प्रेम संबंध था। वह उस पर शादी करने का दबाव डाल रही थी। इसलिए उसने केटामाइन का इंजेक्शन देकर 28 मई 2021 को उसकी हत्या कर दी। उसने षड्यंत्र के तहत अपराध किया है।
देवकर ने कहा कि पुलिस ने याचिकाकर्ता को 31 मई 2021 को गिरफ्तार किया था। इस मामले में आरोप पत्र 27 अगस्त 2021 को दायर किया गया था। आरोप पत्र के मुताबिक 39 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। इसलिए उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दी जानी चाहिए। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि पिछले साल 18 दिसंबर को याचिकाकर्ता के खिलाफ को आरोप तय किया गया था। इसके बाद से मुकदमे में आगे कोई प्रगति नहीं हुई है. मामले के ट्रायल में काफी समय लगने की संभावना है। ऐसे में याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों के आधार पर जमानत दी जा सकती है। पीठ ने कहा कि इसमें की गई टिप्पणियां प्रथम दृष्टया हैं। ट्रायल कोर्ट इस आदेश में की गई टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना इसके गुण-दोष के आधार पर मामले का निर्णय करेगा।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को मुकदमे के समाप्त होने तक हर महीने के पहले रविवार को सुबह 11.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे के बीच पनवेल पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट करना होगा। वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले के तथ्यों से परिचित किसी भी व्यक्ति को कोई प्रलोभन, धमकी या वादा नहीं करेगा, जिससे ऐसे व्यक्ति को अदालत या किसी पुलिसकर्मी के सामने तथ्यों का खुलासा करने से रोका जा सके। वह ट्रायल कोर्ट के साथ सहयोग करेगा और उसमें अनावश्यक स्थगन की मांग नहीं करेगा। उसे अपना पासपोर्ट जांच अधिकारी को सौंपना होगा।
मकोका के तहत अथॉरिटी से मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिलने पर आरोपी जमानत पाने के हकदार...बॉम्बे हाई कोर्ट
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि एक बार जब सक्षम अथॉरिटी से आरोपी पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिलती है, तो वे (आरोपी) जमानत पाने के हकदार हैं। अदालत ने दो आरोपियों को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दिया है। न्यायमूर्ति एन.जे.जमादार की एकल खंडपीठ के समक्ष दिनेश इंद्रे और प्रतीक भोजने की डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के वकील पंकज मोरे ने दलील दी कि आईपीसी, आर्म्स एक्ट और अन्य के तहत दर्ज अपराधों के लिए पुलिस को आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है। यदि वे निर्धारित समय में आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहते हैं, तो आरोपी जमानत पाने का हकदार है। हालांकि मकोका, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और एनआईए अधिनियम जैसे अधिनियमों के तहत दर्ज मामलों में एजेंसियों को आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 60 दिन का समय दिया जाता है और इसे 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। खंडपीठ ने सक्षम अथॉरिटी द्वारा मकोका के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार करने के बाद दिनेश इंद्रे और प्रतीक भोजने को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी है। उन्होंने हाई कोर्ट में निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी।
इंद्रे और भोजने को पिछले साल 2 सितंबर को एक व्यक्ति से 1.25 करोड़ रुपये लूटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पहले उन्हें आईपीसी के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन पर मकोका लगा दिया गया। पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 18 दिसंबर 2023 तक की मोहलत मिल गई है। पिछले साल 12 दिसंबर को सक्षम अथॉरिटी ने उन पर मकोका के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया और मामला मजिस्ट्रेट अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद दोनों ने 13 दिसंबर को डिफ़ॉल्ट जमानत की मांग की।