विदर्भ में बड़ा झटका: कांग्रेस नेता सुनील केदार की विधानसभा सदस्यता रद्द
- नागपुर की अदालत ने सुनाई थी पांच साल की सजा
- जनप्रतिनिधि अधिनियम के अंतर्गत हुई कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. राज्य के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक सुनील केदार को बहुचर्चित नागपुर जिला बैंक घोटाला मामले में 5 साल की सजा सुनाई गई है। अब उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई है। केदार की विधानसभा सदस्यता रद्द होने से कांग्रेस को विदर्भ में बड़ा झटका लगा है। नागपुर पुलिस ने विधानसभा सचिवालय को केदार की सजा के बारे में जानकारी दी थी और अदालत का आदेश भेजा था। जिसके बाद रविवार को सुनील केदार को विधायक पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
सुनील केदार को शुक्रवार को नागपुर की एक अदालत ने जिला बैंक घोटाले के मामले में दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होना सिर्फ एक औपचारिकता ही रह गई थी। केदार की विदर्भ के जिला स्तर की राजनीति में अच्छी पकड़ है। इसके अलावा जिला परिषद और नगर परिषद में भी उनका दबदबा है। कांग्रेस की हार के बाद भी स्थानीय संस्थाओं के चुनाव में उन्होंने अपना रुतबा दिखाकर जीत हासिल की थी। इसके अलावा साल 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद उन्होंने अपने विरोधियों को मात देकर जीत हासिल की। महाविकास आघाडी की सरकार में सुनील केदार कैबिनेट मंत्री भी बने थे। अब कांग्रेस के पास राज्य में विधायकों का आंकड़ा 44 रह गया है।
भाजपा पर आरोप
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने सुनील केदार की विधायकी रद्द होने पर कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। जब भाजपा के सांसद या विधायक को सजा होती है तो वो उसकी सदस्यता को जल्द रद्द नहीं करते। लेकिन विपक्ष के सदस्य की सदस्यता को रद्द में करने में जल्दबाजी में रहते हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केदार की सदस्यता रद्द होने पर कहा कि उनकी नियमों के मुताबिक सदस्यता रद्द हुई है, लिहाजा इस पर विपक्ष को राजनीति नहीं करनी चाहिए। इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सदस्यता सजा होने के बाद रद्द हो गई थी। हालांकि सर्वोच्च अदालत से उनकी सजा पर रोक लग गई थी जिसके बाद उनकी सांसदी बहाल हो गई थी।
क्या कहता है जनप्रतिनिधि कानून
जन प्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसद और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से अधिक की सजा होती है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। इसके अलावा सजा की अवधि पूरी होने के बाद छह साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लग जाता है।