सत्र अदालत: कलाकार चिंतन उपाध्याय को आजीवन कारावास की सजा

  • पत्नी और वकील की हत्या में किया था दोषी करार
  • उपाध्याय के अलावा हत्या करने वाले तीन दोषियों को भी हुई आजीवन कारावास की सजा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-10 15:08 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सत्र अदालत ने मंगलवार को कलाकार चिंतन उपाध्याय को पत्नी हेमा उपाध्याय और उनके वकील हरीश भंभानी की हत्या में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उपाध्याय के अलावा शिव कुमार राजभर, प्रदीप कुमार राजभर और विजय कुमार राजभर को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने उन्हें पांच दिन पहले दोषी ठहराया था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.वाई.भोसले ने चिंतन उपाध्याय और तीन अन्य दोषियों शिव कुमार, प्रदीप कुमार और विजय कुमार को मौत की सजा देने की अभियोजन पक्ष की मांग को खारिज कर दी। विशेष लोक अभियोजक वैभव बागड़े ने कहा था कि चिंतन और तीन अन्य दोषी विजय राजभर, प्रदीप राजभर और शिवकुमार राजभर को अधिकतम मौत की सजा दी जाए। उन्होंने दावा किया था कि हेमा और उनके वकील हरीश भंभानी की हत्याएं नृशंस हत्या थीं। भारत के प्रमुख कलाकारों में से एक हेमा उपाध्याय और भंभानी की 12 दिसंबर 2015 को गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। उनके शवों को कार्डबोर्ड (बक्सा) में पैक करके फेंक दिया गया था। एक कूड़ा बीनने वाले ने कांदिवली में शवों को देखा था और पुलिस को सूचित किया थी।

पुलिस की जांच में पाया गया था कि विद्याधर राजभर ने दोनों को मरवाने के लिए अपने कर्मचारियों और संपर्कों का इस्तेमाल किया था। प्रदीप कुमार राजभर ने हत्या में चिंतन उपाध्याय की भूमिका के बारे में मार्च 2016 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष इकबालिया बयान दिया था। अभियोजन पक्ष ने बयान के साथ-साथ ही चिंतन उपाध्याय के चित्रों और रेखाचित्रों को भी सबूत के रूप में पेश किया, जिसमें उनकी अलग हो चुकी पत्नी के प्रति घृणा दर्शाई गई थी। उपाध्याय की डायरी भी पत्नी के प्रति उनके भावनाओं को दर्शाती थी।

उपाध्याय ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया। उनके वकील राजा ठाकरे और भरत मंघानी ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल के पास अपनी अलग पत्नी को मारने का कोई कारण नहीं था, क्योंकि उनकी तलाक की याचिका मंजूर हो गई थी। उन्होंने उन्हें भरण-पोषण का एक बड़ा हिस्सा चुका दिया था। उपाध्याय ने अदालत में जोर देकर कहा था कि साजिश की बैठक और हत्याओं में उनकी भूमिका का कोई सबूत नहीं है।

उपाध्याय के अलावा अन्य आरोपियों के वकील अनिल जाधव और वकील हसन अली मूमन ने प्रदीप कुमार राजभर के बयान की स्वीकार्यता पर सवाल उठाए थे और कहा था कि यह अनैच्छिक था। वह भी इससे मुकर गया था। बचाव पक्ष के वकीलों ने कॉल डेटा रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाए थे, जिसे अभियोजन पक्ष ने सबूत के तौर पर भी पेश किया था।

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