बॉम्बे हाईकोर्ट: आरे मिल्क कॉलोनी में 37 किलोमीटर आंतरिक सड़क पुनर्निर्माण मामले में जवाब तलब
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
- अदालत द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर उठाए गए कदम की मांगी जानकारी
- आंतरिक सड़कों के पुनर्निर्माण का मामला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार से आरे मिल्क कॉलोनी क्षेत्र में 37 किलो मीटर की आंतरिक सड़कों के पुनर्निर्माण को लेकर उठाए गए कदम पर दवाब मांगा है। पिछले दिनों राज्य सरकार को उच्च स्तरीय अधिकारियों, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) के एक विशेषज्ञ और आरे मिल्क कॉलोनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अदालत द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाने का निर्देश दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मचारी और आरे कॉलोनी में रॉयल पाम्स के निवासी बिनोद अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में आरे मिल्क कॉलोनी क्षेत्र की खस्ताहाल 37 किलोमीटर आंतरिक सड़कों के निर्माण की मांग की गयी है। खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि आरे मिल्क कॉलोनी क्षेत्र की सड़कों के निर्माण को लेकर अदालत द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट के अाधार पर क्या कदम उठाए गए हैं? क्या संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी) के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) को लेकर सड़कों के मरम्मत की अनुमति ली गई है? खंडपीठ ने सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले की 29 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी।
राज्य सरकार को उच्च स्तरीय अधिकारियों, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) के एक विशेषज्ञ और आरे मिल्क कॉलोनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने सिफारिश की थी कि आंतरिक सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए उन्हें मरम्मत की आवश्यकता थी। आरे मार्केट से मयूर नगर तक 1.5 किलोमीटर की दूरी पर तत्काल पुनर्निर्माण की आवश्यकता थी। ईएसजेड में आंतरिक सड़कों की कुल लंबाई 52 किलोमीटर थी, जिसमें से 7 किलोमीटर का हिस्सा 2014 में बीएमसी को सौंप दिया गया था।
समिति ने कहा था कि 45 किलोमीटर सड़कों में से 11.98 किलोमीटर आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं और 19.17 किलोमीटर को प्राथमिकता के आधार पर तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। साथ ही 17.72 किलोमीटर की भी मरम्मत की जाने की जरूरत है। इसके बाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होने पर 8.22 किलोमीटर की दूरी को दस दिनों के भीतर स्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा। केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की 5 दिसंबर 2016 की अधिसूचना के अनुसार 45 किलोमीटर की आंतरिक सड़कों की मरम्मत, पुनर्निर्माण या रखरखाव के लिए ईएसजेड के लिए निगरानी समिति से मंजूरी की आवश्यकता होगी।