बॉम्बे हाईकोर्ट: जान का खतरा होने के बावजूद गवाह की सुरक्षा हटाने पर ठाणे पुलिस से मांगा जवाब
- हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
- याचिकाकर्ता बेटे विजय पाटील की हत्या के मुख्य गवाह
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बेटे की हत्या के मुख्य गवाह और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता वंडार पुंडलिक पाटील को जान का खतरा होने के बावजूद पुलिस सुरक्षा हटाने पर ठाणे पुलिस से जवाब मांगा है। अदालत ने पुलिस को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। 71 वर्षीय पाटील अपने बेटे विजय पाटील की हत्या के मुख्य गवाह है।न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को वंडार पुंडलिक पाटील की ओर से वकील संजीव सावंत और वकील समीक्षा माने की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील संजीव सावंत ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के बेटे विजय पाटील की 10 अप्रैल 2007 में गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। बेटे की हत्या का याचिकाकर्ता वंडार पाटील मुख्य गवाह हैं। उसके बाद से उन्हें लगातार जान का खतरा बना हुआ है।
पाटील को 2016 से लेकर मार्च 2023 तक पुलिस सुरक्षा मिली हुई थी। इस साल 29 मार्च को पाटील की पुलिस सुरक्षा हटा ली गई। उन्होंने ठाणे पुलिस आयुक्त को पत्र लिख कर सुरक्षा हटाने का कारण पूछा, तो डोंबिवली के मानपाडा पुलिस ने उन्हें नोटिस भेज कर पुलिस सुरक्षा के लिए 1 करोड़ 17 लाख 72 हजार 628 रुपए चुकाने को कहा। इसके बाद वंडार पालिट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस सुरक्षा की गुहार लगाई है। याचिका में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र गवाह संरक्षण और सुरक्षा अधिनियम 2017 के तहत आपराधिक मामले में गवाहों और उनके परिजनों को सुरक्षा देना जरूरी है। ऐसे में याचिकाकर्ता को अपनी सुरक्षा के लिए पैसे चुकाने की आवश्यकता नहीं है। खंडपीठ ने ठाणे पुलिस से 27 सितंबर को अगली सुनवाई से पहले हलफनामा दायर याचिकाकर्ता की पुलिस सुरक्षा हटाने को लेकर जवाब मांगा है।