हाईकोर्ट: भायंदर में सरकारी जमीन पर मैंग्रोव काट अवैध दरगाह बनाने पर सरकार से मांगा जवाब
- अदालत ने जिलाधिकारी, मीरा भायंदर महानगरपालिका, पुलिस आयुक्त और दरगाह के ट्रस्टी को जारी किया नोटिस
- 24 अप्रैल को मामले की सुनवाई
- मैंग्रोव काट कर अवैध दरगाह बनाने को लेकर राज्य सरकार से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, मुंबई. भायंदर में सरकारी जमीन पर मैंग्रोव काट कर अवैध हजरत सैयद बालेशाह पीर दरगाह बनाने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने इसको लेकर जिलाधिकारी, मीरा भायंदर महानगरपालिका, मीरा-भायंदर-वसई-विरार के पुलिस आयुक्त और दरगाह के ट्रस्टी को नोटिस जारी किया है। साथ ही अदालत ने उन्हें हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस. डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को खुश ईश्वर खंडेलवाल की ओर से वकील अमृत जोशी उर्फ प्रतीक कोठारी और वकील यजाद उदवाडिया की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील कोठारी ने दलील दी कि भायंदर (प.) के तरोडी रोड स्थित डोंगरी में 10 हजार स्क्वायर फीट की सरकारी जमीन पर मैंग्रोव काट कर बिना किसी इजाजत के हजरत सैयद बालेशाह पीर के नाम से दरगाह का निर्माण किया गया है।
मीरा भायंदर के अतिरिक्त तहसीलदार को जब इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने तहसील स्तर पर मौके की जांच के लिए 19 नवंबर 2020 को एक सब कमेटी बनाई। कमेटी ने 5 दिसंबर 2020 को अपनी जांच रिपोर्ट अतिरिक्त तहसीलदार को सौंप दिया। रिपोर्ट में पाया गया कि दरगाह के ट्रस्टी ने सरकारी जमीन पर मैंग्रोव को काट कर अवैध निर्माण किया है। इसके बाद तहसील के सर्कल ऑफिसर प्रशांत कपाडे ने मैंग्रोज काट कर अवैध दरगाह बनाने के खिलाफ उत्तन कोस्टल पुलिस स्टेशन में शिकायत की।
पुलिस ने दरगाह के ट्रस्टी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। इसके बावजूद दरगाह के अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका में दावा किया गया है कि हजरत सैयद बालेशाह पीर दरगाह के ट्रस्टी का अपने आस-पास मैंग्रोव को काट कर अवैध निर्माण करने का सिलसिला जारी है। राज्य सरकार के राजस्व एवं वन विभाग समेत मीरा भायंदर महानगर पालिका और पुलिस दरगाह के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने फुटपाथ से दिव्यांग के लिए बाधा बने बोलार्ड हटाने के मामले में राज्य सरकार को लगाई फटकार
दूसरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने फुटपाथ से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बाधा बोलार्ड हटाने के मामले को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के इस मामले में दाखिल हलफनामा पर भी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि संसद में कानून अमल करने के लिए बना है। सरकार कानून का पालन नहीं कर रही है। अदालत ने सरकार को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने शहर के फुटपाथ से 3 महीने में बोलार्ड को हटा लेने का दावा किया है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को बोलार्ड को हटाने को लेकर स्वत: संज्ञान (सुमोटो) याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने सरकारी वकील वकील पूर्णिमा कंथारिया से पूछा कि राज्य सरकार के सलाहकार बोर्ड द्वारा फुटपाथ से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बाधा बने बोलार्ड हटाने को लेकर क्या कदम उठाया गया है? वह इसका जवाब नहीं दे सकीं। इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार कानून के मुताबिक काम करना चाहिए। सरकार को हलफनामा दाखिल कर दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया गया है। एमएसआरडीसी की ओर से एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सतीश कुमार गावित ने बुधवार को हलफनामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि एमएसआरडीसी के अंतर्गत आने वाले राजीव गांधी सी लिंक समेत जितने भी रास्ते हैं, उसके फुटपाथ का इस्तेमाल पदयात्रा और व्हीलचेयर के लिए नहीं होता है। इसकी तरह एमएमआरडीए के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर पी.जे.भांगरे ने अपने हलफनामे में कहा कि उसके अंतर्गत मुंबई में बीकेसी के रास्ते आते हैं, जिसके फुटपाथ पर लगे बोलार्ड व्हीलचेयर के आने-जाने में बाधक नहीं है। एमएमआरडीए ने रास्तों पर यूनिवर्सल फुटपाथ पालिसी के तहत फुटपाथ का निर्माण कर रही है। खंडपीठ ने एमएमआरडीए और एमएसआरडीसी के हलफनामे पर नाराजगी जताई। हालांकि बीएमसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अनिल सिंह ने एक बार फिर दोहराया कि बीएमसी के सभी 24 वार्डों से 3 महीने में दिव्यांगों के व्हीलचेयर के लिए बाधा बने बोलार्ड को हटा लेगा। एमिकस क्यूरी वकील जमशेद मिस्त्री ने कहा कि अभी तक शहर के ज्यादातर फुटपाथों बोलार्ड लगे हुए हैं। बीएमसी ने किन रास्तों के फुटपाथ से बोलार्ड हटाया है। इसकी अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। जबकि एमएमआरडीए और एमएसआरडीसी ने अपने हलफनामे में रास्तों से बोलार्ड हटाने से पल्ला झाड़ लिया है।