भारी पड़े दादा: पालक मंत्रियों की नियुक्ति में देखने को मिली अजित पवार की दादागिरी
- अजित पवार की नाराजगी की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनी थी
- राधाकृष्ण विखे-पाटील को अहमदनगर के पालकमंत्री से हटाकर अकोला का पालकमंत्री बनाया
- अजित पवार को पुणे का पालकमंत्री बनाए जाने पर चंद्रकांत पाटील नाराज बताए जा रहे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। तीन महीने के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के 12 जिलों के पालक मंत्रियों की सूची का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री ने पालक मंत्रियों की सूची पर मुहर उस समय लगाई जब वह दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर मंगलवार देर रात ही मुंबई लौटे। मुख्यमंत्री शिंदे ने पालक मंत्रियों की जिस सूची का ऐलान किया है उसमें राकांपा (अजित) प्रमुख अजित पवार की दादागिरी देखने को मिली है। अजित पवार को पुणे का पालकमंत्री बनाया गया है। अजित को ये जिम्मेदारी भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री चंद्रकांत पाटील को पुणे के पालकमंत्री पद से हटाकर दी गई है। अजित पवार को पुणे का पालकमंत्री बनाए जाने पर चंद्रकांत पाटील नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि अभी तक नाशिक, रायगड और सातारा के पालकमंत्री पद पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है।
पिछले कई दिनों से अजित पवार की नाराजगी की खबरें मीडिया की सुर्खियां बन रही थीं। इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मंगलवार रात दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने पहुंचे। खबर है कि अमित शाह के साथ शिंदे और फडणवीस की ढाई घंटे तक चली मुलाकात में फैसला लिया गया कि अजित पवार और उनके मंत्रियों को ज्यादातर उनके जिलों का पालकमंत्री पद दिया जाए। बुधवार को जारी की गई सूची में इसकी छाप देखने को भी मिली है। अजित पवार का पुणे में दबदबा माना जाता है। यही कारण है कि उनको पुणे का पालकमंत्री बनाया गया है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ को कोल्हापुर और धनंजय मुंडे को बीड के पालकमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई है। पुणे के पालकमंत्री रहे चंद्रकांत पाटील को सोलापुर और अमरावती का पालकमंत्री बनाकर उन्हें खुश करने की कोशिश की गई है। बताया जा रहा है कि पाटील सरकार के फैसले से नाराज हैं।
राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटील को अहमदनगर के पालकमंत्री से हटाकर अकोला का पालकमंत्री बनाया है। जबकि सुधीर मुनगंटीवार को चंद्रपुर और गोंदिया की जिम्मेदारी से हटाकर वर्धा की जिम्मेदारी दी गई है। राहत एवं पुनर्वसन मंत्री अनिल पाटील को नंदुरबार की जिम्मेदारी दी गई है। दिलीप वलसे पाटील को बुलढाणा की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि अभी भी रायगड, सातारा और नाशिक के पालक मंत्रियों पर सस्पेंस अभी भी बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे रायगड और सातारा का पालकमंत्री पद छोड़ना नहीं चाहते। यही कारण है कि इन दोनों जिलों को लेकर गतिरोध कायम है। अजित गुट के 9 मंत्रियों में से सात को पालकमंत्री की जिम्मेदारी मिल गई है। जबकि वरिष्ठ नेता छगन भुजबल और महिला एवं बाल विकास मंत्री आदिति तटकरे को अभी कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है।
राकांपा (शरद) कार्याध्यक्ष सुप्रिया सुले ने अजित पवार के पुणे के पालकमंत्री बनने पर मीडिया से बातचीत में कहा कि लगता है कि अजित दादा को नाराजगी का फायदा मिला है। यही कारण है कि उन्हें पुणे का पालकमंत्री पद आखिरकार मिल गया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि अजित पवार पुणे के पालकमंत्री बनेंगे यह पहले ही तय हो गया था। ऐसे में इसको लेकर विपक्ष को बयानबाजी नहीं करना चाहिए। राकांपा (अजित) प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि पालकमंत्री पद और अजित पवार की तबीयत को जोड़कर एक साथ नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अजित पवार किसी से भी नाराज नहीं हैं। तटकरे ने कहा कि कुछ जिलों के पालकमंत्री अभी बनने बाकी हैं जिन पर फैसला बहुत जल्द होगा।
इन्हें मिली है पालकमंत्री की जिम्मेदारी
पुणे- अजित पवार
अकोला- राधाकृष्ण विखे- पाटील
सोलापुर- चंद्रकांत पाटील
अमरावती- चंद्रकांत पाटील
भंडारा- डॉ. विजयकुमार गावित
बुलढाणा- दिलीप वलसे-पाटील
कोल्हापुर- हसन मुश्रीफ
गोंदिया- धर्मरावबाबा आत्राम
बीड-धनंजय मुंडे
परभणी- संजय बनसोडे
नंदुरबार- अनिल पाटील
वर्धा - सुधीर मुनगंटीवार