दावा: अजित पवार और देवेंद्र नहीं चाहते थे कि एकनाथ शिंदे बनें सीएम - संजय राऊत
- शरद पवार ने कहा - राकांपा के पास साल 2004 में नहीं था कोई मुख्यमंत्री पद का दावेदार
- संजय राऊत का बड़ा दावा
- अजित पवार और देवेंद्र नहीं चाहते थे एकनाथ शिंदे सीएम बनें
डिजिटल डेस्क, मुंबई. शिवसेना (उद्धव) सांसद एवं प्रवक्ता संजय राऊत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस को लेकर बड़ा दावा किया है। राऊत ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि साल 2019 में राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में शामिल राकांपा (अविभाजित) के बड़े नेताओं ने यह कहकर एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम का विरोध यह कहते हुए किया था कि वह छोटे और अनुभवहीन व्यक्ति के अधीन काम नहीं कर सकते। राऊत ने कहा कि साल 2022 में प्रदेश भाजपा के बड़े नेता भी एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहते थे, जिसमें देवेंद्र फडणवीस भी शामिल थे।
राऊत ने कहा कि जब राज्य में महाविकास आघाडी गठबंधन बना था तो राकांपा (अविभाजित) ने शिवसेना (अविभाजित) के मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी। लेकिन जब बातचीत में यह बात सामने आई कि उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं तो राकांपा के वरिष्ठ नेताओं अजित पवार, दिलीप वलसे पाटील और सुनील तटकरे जैसे वरिष्ठ नेताओं ने शिंदे के नाम का विरोध करते हुए उनके नेतृत्व में काम करने से मना कर दिया था। राऊत ने कहा कि उस समय कांग्रेस और राकांपा के पास कई वरिष्ठ नेता थे और दोनों ही दलों के नेता यह चाहते थे कि मुख्यमंत्री पद का व्यक्ति अनुभवी और वरिष्ठ होना चाहिए, जो सभी को साथ लेकर चल सके। यही कारण रहा कि बाद में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने पर आघाडी के दलों में आम राय बनी थी।
राऊत ने एक और दावा करते हुए कहा कि जब एकनाथ शिंदे शिवसेना को तोड़कर भाजपा के साथ आए तो देवेंद्र फडणवीस, गिरीश महाजन और सुधीर मुनगंटीवार जैसे भाजपा के नेताओं ने एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने का विरोध किया था। राऊत ने कहा कि इन तीनों नेताओं ने यह बात भाजपा आलाकमान को भी बताई थी, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह के दबाव के चलते शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर फैसला हुआ था।
राकांपा के पास साल 2004 में नहीं था कोई मुख्यमंत्री पद का दावेदार- शरद पवार
राकांपा (शरद) अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को दावा करते हुए कहा कि साल 2004 में राकांपा (अविभाजित) (71) ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (69) से भी ज्यादा सीटें जीती थीं। लेकिन हमारे पास उपयुक्त उम्मीदवार नहीं होने के चलते हमने मुख्यमंत्री पद पर दावा नहीं किया था। पवार ने यह बयान अजित पवार के उस बयान के बाद दिया जिसमें अजित ने कहा था कि राकांपा के हाथ से साल 2004 में मुख्यमंत्री का पद निकल गया जिसके लिए उन्होंने अब भाजपा और शिंदे के साथ जुड़ने का फैसला किया।