अदालत: आम-अशोक के पेड़ों को काटने का आरोपी विले पार्ले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट से बरी
- बीएमसी अधिकारी अदालत में पेड़ों की पहचान करने में रहे असफल
- आरोपी विले पार्ले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट से बरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई. विले पार्ले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आम और अशोक के पेड़ों को काटने के आरोपी संजय नागरकर को बरी कर दिया। अदालत में बीएमसी अधिकारी काटे गए पेड़ों की पहचान संख्या बताने में विफल रही। अदालत ने कहा कि शहर में प्रत्येक पेड़ पर नंबर अंकित है। इन नंबरों के बिना अपराध साबित नहीं हो सकता है। विले पार्ले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मुंबई में हर पेड़ को बीएमसी द्वारा क्रमांकित किया गया है, जो उन पर नजर रखने में मदद करता है। यह तथ्य है कि अभियोजन पक्ष पेड़ की संख्या का उल्लेख करने में सक्षम नहीं था। इस प्रकार आरोपी के खिलाफ मामला साबित नहीं किया जा सकता है। अंधेरी के शेठ एम.ए.हाई स्कूल से जुड़े आरोपी संजय नागरकर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। 7 सितंबर 2021 को दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि स्कूल ने स्कूल परिसर में लगे आम और अशोक के पेड़ों को काट दिया।
शिकायतकर्ता मेहर हैदर आरोप लगाया कि स्कूल ने कुछ शाखाओं को काटने की अनुमति के लिए बीएमसी के वृक्ष विभाग से अनुमति मांगी थी, लेकिन पूरे पेड़ को काट दिया गया। इसकी शिकायत गार्डन और वृक्ष प्राधिकरण में की गई। बचाव पक्ष ने दलील दी कि स्कूल ने पहले ही मेहर हैदर और उसके पति के खिलाफ सत्र न्यायालय में शिकायत दर्ज करवाई थी। इसी प्रतिशोध की भावना में शिकायतकर्ता ने स्कूल से जुड़े नागरकर के खिलाफ आम और अशोक के पेड़ काटने का आरोप लगाया।
अदालत ने माना कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शिकायतकर्ता ने स्कूल के खिलाफ बदला लेने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी। इसके अलावा पेड़ों की कोई उचित तस्वीर पेश नहीं की गई। पुलिस एक विश्वसनीय पंच गवाह प्रदान करने में विफल रही। स्कूल के बचाव पक्ष के तर्कों में कहा गया है कि आदर्श रूप से पास के गवाह को पंच गवाह के रूप में बुलाया जाना चाहिए था, जिससे मामले में विश्वसनीयता बढ़ जाती। पंच गवाह एक अलग स्थान से थे, जिसे अभियोजन पक्ष स्पष्ट नहीं कर सका।