बिरला का बड़ा बयान: नार्वेकर की अध्यक्षता में बनेगी दल-बदल विरोधी कानून की समीक्षा के लिए समिति
- मुंबई में दो दिनों तक चला अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का समापन
- ओम बिरला का बड़ा बयान
- दल-बदल विरोधी कानून की समीक्षा के लिए बनेगी समिति
- सदन की कार्यवाही में व्यवधान कोविड खतरे से कम नहीं : धनखड़
डिजिटल डेस्क, मुंबई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता से जोड़ने और उन्हें अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने की कार्य योजनाओं पर बल देते हुए कहा कि लोकतंत्र जनता के विश्वास और भरोसे पर चलता है, इसलिए यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे अपनी कार्यशैली में आवश्यक बदलाव लाएं और यदि आवश्यक हो तो नियमों में संशोधन भी करें ताकि इन संस्थाओं में जनता का विश्वास बढ़े।
बिरला ने दल-बदल विरोधी कानून की समीक्षा के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की भी बात कही है। लोकसभा अध्यक्ष रविवार को महाराष्ट्र विधानमंडल में आयोजित 84 वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन सत्र में बोल रहे थे।
सदन की कार्यवाही में व्यवधान कोविड खतरे से कम नहीं : धनखड़
इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि चर्चा, जो लोकतंत्र की आधारशिला है, हंगामे में तब्दील हो गई है और सदन की कार्यवाही में व्यवधान लोकतंत्र के लिए कोविड के खतरे से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों को सदन की मर्यादा सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायी निकायों की कार्यवाही में व्यवधान एक ‘‘दुखद परिदृश्य’’ है।
धनखड़ ने कहा, ‘‘यह कोई रहस्य नहीं है कि गड़बड़ी और व्यवधान की योजना बनाई जाती है, जिसके लिए बैनर छापे जाते हैं और नारे गढ़े जाते हैं। ऐसी चीजों का हमारी प्रणाली में कोई स्थान नहीं है।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रतिनिधि संस्थाओं और प्रतिनिधियों में जनता के विश्वास का कम होना समाज के लिए ‘‘कैंसर’’ है। धनखड़ ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को सदन की कार्यवाही पर बारीक नजर रखनी चाहिए और मर्यादा सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘जनता की ओर देखें। वे हमें चुनते हैं, उन्हें हमसे उम्मीदें हैं। वे चाहते हैं कि उनकी आकांक्षा हमारे माध्यम से साकार हो। ऐसे में, जब कोई कार्यवाही में व्यवधान पैदा करता है तो यह उनके (जनता) लिए कितना कष्टदायक होता है। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री धनखड़ ने सम्मेलन का समापन किया। इस सम्मेलन में 16 राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों सहित 18 राज्यों के 26 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।