मुंबई: जलापूर्ति करने वाले जलाशयों में 99% पानी, पिछले दो वर्षों की अपेक्षा ज्यादा हुआ जमा

  • वाकोला पंपिंग स्टेशन में रिसाव
  • जलापूर्ति करने वाले जलाशयों में 99% पानी
  • पानी के लिए लोग हो रहे परेशान

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-16 15:22 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. जलापूर्ति करने वाले महानगरपालिका(मनपा) के सात जलाशयों में 99 प्रतिशत पानी जमा हो गया है। सितंबर महीने में जलाशयों में जमा यह पानी पिछले दो वर्ष की तुलना मेंज्यादा है। इससे अगले वर्ष जुलाई तक मुंबईकरों की पेयजल की समस्या खत्म हो गई है। एक जुलाई 2024 को मनपा के जलाशयों में 5 प्रतिशत पानी ही बचा था। जिसके बाद मनपा को 10 प्रतिशत पानी कटौती लागू करनी पड़ी थी। हालांकि बाद में हुई अच्छी बारिश से जलाशय लबालब हो गए।

मनपा के सात जलाशयों में जल भंडारण की कुल क्षमता 14,47,363 मिलियन लीटर की है। मुंबई शहर को सालभर जलापूर्ति करने के लिए इतना पानी पर्याप्त होता है। मौजूदा समय में इन जलाशयों में 14,28,697 मिलियन लीटर पानी जमा है। वैसे सबसे कम बारिश अपर वैतरणा जलाशय क्षेत्र में होती है। लेकिन इस बार अपर वैतरणा क्षेत्र में अच्छी बारिश होने से इस जलाशय में 98.51 प्रतिशत पानी जमा हो गया है। इसी प्रकार 2022 में देखें तो आज के दिन 14,27,345, और 2023 में 14,03,648 मिलियन लीटर पानी जमा हुआ था। मनपा अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अभी कुछ दिन और छिटपुट बारिश होने की संभावना व्यक्त की है। इससे जलाशयों में 100 प्रतिशत पानी जमा हो सकता है।

महीने के आखिर में होगी समीक्षा

मनपा जल विभाग सितंबर महीने के आखिर में जलाशयों में जमा पानी को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित करता है। जलाशयों में पानी की स्थिति के अनुरूप एक वर्ष के लिए पेयजल की योजना तैयार की जाती है। अधिकारी ने कहा कि फिलहाल मुंबई में पानी का कोई संकट नहीं है।

तालाबों में पानी लेकिन वकोला में बूंद-बूंद के लिए परेशानी

शहर के सांताक्रुज इलाके के वकोला पंपिंग स्टेशन में कई महीनों से रिसाव हो रहा है। लेकिन मनपा जल विभाग इसकी मरम्मत नहीं कर रहा है। इसके कारण तालाबों में भले ही पानी है लेकिन वकोला वासियों के लिए कम प्रेशर से आते बूंद-बूंद पानी से परेशानी है। पूर्व नगरसेविका तुलिप मिरांडा ने आरोप लगाया कि पंपिंग स्टेशन में मरम्मत का काम नहीं किए जाने से पानी का प्रेशर नहीं बन रहा है। शिकायत के बाद भी मनपा अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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