बांबे हाईकोर्ट: अनाथ दिव्यांग बच्चों के सुधार गृह चलने वाली 8 सामाजिक संस्थाओं ने लगाई गुहार

  • राज्य सरकार द्वारा अनाथ बच्चों के लिए अनुदान राशि समय पर मिलने और मेडिकल सुविधाओं की मांग
  • राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
  • 5 फरवरी को मामले की होगी सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-04 14:16 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य में दिव्यांग (मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर) अनाथ बच्चों के बाल सुधार गृह को चलाने वाली 8 सामाजिक संस्थाओं ने बच्चों को मेडिकल सुविधाएं, अनुदान राशि कम और समय पर नहीं मिलने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में गुहार लगाई है। इसको लेकर सामाजिक संस्थाओं ने एक याचिका दायर किया है, जिसकी सुनवाई साल 2014 में बाल सुधार गृह को लेकर दायर जनहित याचिका के साथ होगी। गुरुवार को अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को रखी गई है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को संगीता संदीप पुनेकर की ओर से वकील नैना परदेशी की दायर जनहित याचिका और दिव्यांग अनाथ बच्चों के बाल सुधार गृह को चलाने वाली 8 सामाजिक संस्थाओं की याचिका पर एक साथ सुनवाई हुई। सामाजिक संस्थाओं की याचिका में दावा किया है कि राज्य में जिला समाज कल्याण विभाग, महिला बाल कल्याण विभाग और सीडब्ल्यूसी की देखरेख में 4 सरकारी और 10 प्राइवेट सामाजिक संस्थाओं द्वारा दिव्यांग अनाथ बच्चों का बाल सुधार गृह चलाया जाता है। इसमें 1500 से अधिक बच्चे हैं, जिसमें से काफी बच्चे पूरी तरह से दिव्यांग और बेड पर पड़े हैं, जिनकी हमेशा देखरेख करने की जरुरत है। मानखुर्द समेत 4 सरकारी बाल सुधार गृह को जो सुविधाएं दी जाती है, वे सुविधाएं सामाजिक संस्थाओं द्वारा चलाए जाने वाले बाल सुधार गृह को नहीं दी जा रही है। साल 2014 में दायर संगीता संदीप पुनेकर की ओर से वकील नैना परदेशी की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दिव्यांग अनाथ बच्चों के बाल सुधार गृह को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किया था, उस पर पूरी तरह से अमल नहीं हो रहा है।

अदालत के आदेश पर बाल सुधार गृह चलाने वाली सामाजिक संस्थाओं को प्रति बच्चे 2 हजार रुपए अनुदान देने और मेडिकल की सुविधा मुहैया का निर्देश दिया था। मेडिकल सुविधाएं तो मिली नहीं, अनुदान की राशि प्रति बच्चे दो हजार रुपए भी समय पर नहीं मिल रहा है। मुंबई, पुणे, नागपुर, धुले, लातूर, उस्मानाबाद, सोलापुर और सतारा की 8 सामाजिक संस्थाओं ने हाई कोर्ट में नई याचिका दायर किया है। 2014 की जनहित याचिका के साथ सामाजिक संस्थाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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