विधान परिषद: करंट लगने से 22 बाघों की मौत, महानंद को पुनर्जीवित करने एनडीडीबी ने मांगे 253 करोड़

  • लगभग साढ़े पांच सालों में 22 बाघों की विद्युत धारा (करंट) से मौत हुई
  • महानंद को पुनर्जीवित करने एनडीडीबी ने मांगा 253 करोड़
  • आरे मिल्क कॉलोनी के आदिवासी बस्तियों और झोपड़पट्टी वासियों के पात्रता का सर्वेक्षण पूरा नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-02 14:26 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में लगभग साढ़े पांच सालों में 22 बाघों की विद्युत धारा (करंट) से मौत हुई है। इन सभी प्रकरण में वन्य कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिसमें से 17 प्रकरणों में आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अगली कानूनी कार्यवाही शुरू है। विधान परिषद में राज्य के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। मुनगंटीवार ने बताया कि राज्य में सन 2018 से मई 2024 के बीच विद्युत धारा से 22 बाघों की मौत हुई है। खेत के पास विद्युत प्रवाह की सहायता से वन्य प्राणियों का शिकार करने वालों के खिलाफ वन विभाग और बिजली विभाग के कानून के तहत कठोर कार्रवाई की जाती है। इस बारे में गांव-गांव में जनजागृति की जा रही है। मुनगंटीवार ने बताया कि विद्युत धारा से वन्य प्राणियों का शिकार रोकने के लिए बिजली कंपनी और क्षेत्रीय वन अधिकारी की संयुक्त सभा आयोजित की जाती है। राज्य विद्युत मंडल के कर्मचारी और वन विभाग के कर्मचारी 11 केवी बिजली लाइन के क्षेत्र में मिलकर गस्त करते हैं। सदन की कांग्रेस सदस्य प्रज्ञा सातव, कांग्रेस सदस्य भाई जगताप, शिवसेना (उद्धव) के सदस्य विलास पोतनीस, कांग्रेस सदस्य सुधाकर अडबोले ने इस संबंध में सवाल पूछा था।

महानंद को पुनर्जीवित करने एनडीडीबी ने मांगा 253 करोड़

महाराष्ट्र राज्य सहकारी दुध महासंघ (महानंद) के प्रबंधन और प्रचालन के लिए केंद्र सरकार की राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को पांच सालों के लिए नियुक्त कर दिया गया है। एनडीडीबी ने महानंद को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार से 253 करोड़ 57 लाख रुपए मांगा है। सरकार ने यह राशि शेयर पूंजी के रूप में उपलब्ध कराने के लिए शासनादेश जारी कर दिया है। प्रदेश के दुग्धविकास मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटील ने विधान परिषद में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। विखे-पाटील ने बताया कि एनडीडीबी साल 2024-25 से साल 2028-29 तक महानंद का कामकाज देखेगा। इससे पहले बदहाल आर्थिक स्थिति को देखते हुए महानंद के प्रबंधन की जिम्मेदारी एनडीडीबी को देने के लिए मार्च 2024 को मंजूरी दी थी। सदन के शिवसेना (उद्धव) के सदस्य सचिन अहिर, कांग्रेस सदस्य भाई जगताप, कांग्रेस सदस्य राजेश राठोड़ समेत अन्य सदस्यों ने इस बारे में सवाल पूछा था।

आरे मिल्क कॉलोनी के आदिवासी बस्तियों और झोपड़पट्टी वासियों के पात्रता का सर्वेक्षण पूरा नहीं

आरे मिल्क कॉलोनी के आदिवासी बस्तियों और झोपड़पट्टी वासियों के पात्र-अपात्र संबंधी सर्वेक्षण का काम अभी पूरा नहीं हो सका है। विधान परिषद में राज्य के दुग्धविकास मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटील ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। विखे-पाटील ने बताया कि सरकार के 12 अक्टूबर 2020 के राजपत्र के अनुसार आरे मिल्क कॉलोनी में 286.732 हेक्टेयर आर क्षेत्र आरक्षित वन क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है। यह क्षेत्र बोरिवली के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान को हस्तांतरित कर दिया गया है। इस हस्तांतरित किए गए क्षेत्र में से आदिवासी बस्ती, झोपड़पट्टी और सड़क आदि को छोड़ दिया गया है। विखे-पाटील ने बताया कि केंद्र सरकार की 5 दिसंबर 2016 की अधिसूचना के अनुसार आरे मिल्क कॉलोनी के संपूर्ण परिसर को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है। अधिसूचना के तहत संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र के लिए निगरानी समिति गठित की गई है। इस समिति के मंजूरी से आरे मिल्क कॉलोनी की आदिवासी बस्तियों और अन्य यूनिट में झोपड़ीधारकों को शौचालय, नाला, लादीकरण और समाज मंदिर का शेड आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। सदन के भाजपा सदस्य भाई गिरकर, भाजपा सदस्य प्रवीण दरेकर, भाजपा सदस्य उमा खापरे सहित दूसरे सदस्यों ने सवाल पूछा था।


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