बाल अधिकार संरक्षण आयोग: आरटीई की मान्यता के बिना चल रहे 218 स्कूल, बीएमसी आयुक्त से मांगी रिपोर्ट
- विद्यार्थियों की सुरक्षा खतरे में डालने का मामला
- 600 करोड़ रुपए जुर्माना न वसूलने का आरोप
- बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बीएमसी आयुक्त से जांच के बाद मांगी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई. आरटीई की मान्यता के बिना चल रहे मुंबई के 218 निजी स्कूलों के खिलाफ जानबूझकर कार्रवाई न करने के आरोपों पर महाराष्ट्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा सुशीबेन ने मुंबई महानगर पालिका आयुक्त को पत्र लिखकर जरूरी कार्रवाई कर रिपोर्ट भेजने को कहा है।
दरअसल शिकायतकर्ता नितीन दलवी ने आरटीई की मान्यता के बिना चल रहे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई न होने को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा सुशीबेन शाह समेत सात लोगों को कानूनी नोटिस भेजा था। दलवी ने स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर बीएमसी के शिक्षा अधिकारी राजू तडवी को निलंबित कर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की थी।
शाह ने इस नोटिस का हवाला देते हुए लिखा है कि आरटीई अधिनियम 2009 के अमल की देखरेख की जिम्मेदारी बाल अधिकार संरक्षण आयोग की है। आरटीई के नियमों के मुताबिक स्कूलों को जिन 19 नियमों का पालन करना पड़ता है उनमें स्कूल की इमारत का स्ट्रक्चरल ऑडिट और दमकल का प्रमाणपत्र भी है। ऐसे न होने के चलते लाखों विद्यार्थियों की जान को खतरा हो सकता है।
दावा यह भी है कि आरटीई की मान्यता के बिना चल रहे स्कूलों से मान्यता न लेने के लिए एक लाख और उसके बाद जितने दिन बिना मान्यता के चले प्रतिदिन 10 हजार के रुपए जुर्माना वसूला जाना चाहिए जो नहीं किया गया। आरोप है कि इसके चलते सरकार के खजाने को 600 करोड़ रुपए का चूना लगा है। मामले में सुशीबेन शाह ने बीएमसी आयुक्त से शिकायत के आधार पर कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है।