अंगदान: 1,884 मरीजों को अंग प्रत्यारोपण से मिली नई जिंदगी, 18 हजार ने कराया पंजीकरण
- 1997 में सबसे पहले सायन अस्पताल में किडनी का प्रत्यारोपण किया गया था
- 25 साल की हुई मुंबई जोनल ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेशन कमेटी
- अंग प्रत्यारोपण से मिली नई जिंदगी
डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) प्रणीत प्रदीप गांधी उन अंगदाताओं के परिवारों में शुमार हैं, जिन्होंने दो वर्ष पहले अपने पिता के अंगों को दान कर पांच लोगों को नई जिंदगी दी है। प्रणीत की तरह ही शिक्षिका दीपाली सिद्धपुरा ने हिम्मत दिखाते हुए तीन वर्ष पहले ब्रेन डेड अपने पति के अंगों को दान कर पांच लोगों को नया जीवन दे चुकी हैं। ढाई दशक में अंगदान से मुंबई में 1,884 लोगों को नई जिंदगी मिली है। अंगदान की निगरानी और प्रोत्साहन के लिए बनाई गई मुंबई जोनल ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेशन कमेटी (जेडटीसीसी) रजत जयंती मना रही है। गठन से लेकर अब तक कमेटी के पास 18 हजार से अधिक लोग अंग पाने के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। जेडटीसीसी अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक भी करती है।
651 ब्रेन डेड मरीजों का अंगदान कराया
जेडटीसीसी एक फरवरी, 2024 तक 651 ब्रेन डेड मरीजों का अंगदान करा चुकी है। वर्ष 1997 में सबसे पहले सायन अस्पताल में किडनी का प्रत्यारोपण किया गया था। कमेटी के गठन से पहले अंगदान सरकारी अस्पतालों में ही होते थे। 1997 से 2002 के बीच सरकारी अस्पतालों में 22 अंगदान किए गए। इसके बाद अंगदान की प्रक्रिया निजी अस्पतालों में शुरू हुई।
सबसे ज्यादा किडनी मरीज
वर्ष 1997 से 2024 के बीच जिन 18,226 लोगों ने अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराया, उनमें सबसे ज्यादा 12,173 किडनी मरीज थे। हृदय के लिए 503, लिवर के लिए 5,258, लंग्स के लिए 212, पैंक्रियाज के लिए 37, हाथ के लिए 18 आदि मरीजों ने अंग प्रत्यारोपण के लिए नाम पंजीकृत कराया है। समय पर अंग नहीं मिलने की वजह से पंजीकृत मरीजों में से कुछ की मौत हो गई।
क्या करती है समिति
जेडटीसीसी का मुख्य कार्य अंगों के लिए मरीजों की प्रतीक्षा सूची तैयार करनी है। ब्रेन डेड डोनर से अंग प्राप्त कर उसे नियमानुसार जरूरतमंदों को मुहैया कराने का काम भी कमेटी करती है। अंगदान की प्रक्रिया में कोई गैर-कानूनी काम न हो इसके लिए आसान व्यवस्था बनाई गई है।
डॉ. सुरेंद्र माथुर, अध्यक्ष, मुंबई जेडटीसीसी के मुताबिक वर्ष 1992 में केईएम अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. विद्या आचार्य ने अंगदान पर कानून और समिति को लेकर काम शुरू किया। डॉ. वत्सला त्रिवेदी, डॉ. गुस्ताद डावर, डॉ. भरत शाह समेत अन्य डॉक्टरों ने भी समिति के लिए बेहतरीन काम किया है। अंगदान अधिनियम पारित होने के बाद यह देश की पहली विभागीय प्रत्यारोपण समिति है।
इतने मरीजों का अंग प्रत्यारोपण
किडनी- 1079
लिवर-509
फेफड़े-54
हाथ- 10
हृदय-212
पैंक्रियास- 11
स्मॉल बाउल- 10
इतने मरीजों को अंग मिलने का इंतजार
किडनी- 3586
लिवर-551
फेफड़े-29
हाथ- 7
हृदय-57
पैंक्रियास- 14
स्मॉल बाउल- 2