म्हाडा के 14,300 हजार घरों को नहीं मिल रहे मालिक
- वसई- विरार में 2300 ,पुणे - 2500, नागपुर - 1000 ,नाशिक - 600
- श्रीरामपुर - 400, कल्याण 6500 , औरंगाबाद 1000
- तीन साल में नहीं बीक पाए म्हाडा के 14300 घर
डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में म्हाडा की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किये थे। जिसमे उन्होंने कहा था की म्हाडा के घरों के निर्माण की तैयारी पूर्वनियोजित नहीं होने के कारण म्हाडा के घरों की निर्माण लागत निजी बिल्डरों से भी अधिक है। यही कारण है कि परियोजना क्षेत्र का गलत चुनाव , निजी बिल्डरों के मुकाबले घरों की अधिक कीमत सहित मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण म्हाडा के 14 हजार 300 घरों को करीब तीन साल से कोई खरीददार नहीं मिल रहे हैं। इन परियोजनाओं में म्हाडा के करीब ढाई हजार करोड़ रुपये लगे हैं। इस घरों का रखरखाव और देखभाल का खर्च आगे चलकर घर ख़रीददार के माथे ही फूटने वाला है।
म्हाडा के जो 14300 घर करीब तीन साल से नहीं बिक रहे हैं वह घर मुंबई एमएमआर , पुणे , नाशिक , औरंगाबाद ,कोल्हापुर , नागपुर , और अहमदनगर जिले के श्रीरामपुर स्थित हैं। म्हाडा के ये घर निजी बिल्डरों द्वारा निर्माण घरों की अपेक्षा दो गुना महंगे हैं। इन जगहों पर सरकार का हाउसिंग या फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनायें जा रहे प्रोजेक्ट 2 हजार 200 रुपये प्रति वर्ग फुट है तो वहीँ म्हाडा के बनाये गए घर साढ़े चार हजार रुपये प्रति वर्ग फुट हैं।
तीन साल में नहीं बीक पाए म्हाडा के 14300 घर
म्हाडा द्वारा वसई विरार में बनाये गए 4 हजार घरों में से 2300 घर ऐसे ही पड़े हैं। पुणे के 4800 घरों में से 2500 घर , नागपुर - 1000 ,नाशिक - 600, श्रीरामपुर - 400, कल्याण जिले में बनाये गए 10 हजार घरों में से 6500 , औरंगाबाद में 1000 घर बिना बिक्री के पड़ें हैं।
म्हाडा के एक अधिकारी न दैनिक भास्कर को बताया कि जिन जगहों पर घर बनाए गए हैं। वहां घर बनाने की जरुरत नहीं थी। अधिकारीयों को पता था कि इन जगहों पर घर बेचने में मुश्किलें आएगी इसके बावजूद म्हाडा के हजारों करोड़ों रुपये फसांये गए। कई जगहों पर म्हाडा के घर निजी बिल्डरों से महंगे है। यही वजह है की म्हाडा के घर अब तक नहीं बिके।