12वीं की छात्रा को बता दिया था फेल, उसे ही बोर्ड ने बाद में दिए 65 नंबर
- उत्तर पुस्तिका देखने पर अड़ी रही छात्रा, सामने आई बारकोड की गड़बड़ी
- 9 विद्यार्थी पहले फेल बताए गए
- उत्तर पुस्तिका की दोबारा जांच में पास हो गए
डिजिटल डेस्क, मुंबई. शिक्षकों और बोर्ड की लापरवाही किस तरह विद्यार्थियों के भविष्य पर भारी पड़ रही है, इसका एक मामला सामने आया है। कुछ महीने पहले बारहवीं में फेल घोषित की गई एक छात्रा सुषमा कोरी को खुद पर इतना भरोसा था कि वह बोर्ड अधिकारी के जेल भेजने की धमकी के बाद भी उत्तर पुस्तिका देखने पर अड़ी रही। आखिरकार जांच की गई, तो पता चला कि सुष्मिता को जिस अकाउंट विषय में सिर्फ 18 नंबर दिए गए थे उसमें उसने असल में 65 अंक हासिल किए थे। सारी गड़बड़ी बारकोड की अदला बदली के चलते हुई थी। परीक्षक ने किसी और छात्र का बारकोड सुष्मिता की उत्तर पुस्तिका पर लगा दिया था। सुष्मिता अकेली नहीं है, ऐसे 9 विद्यार्थी हैं, जो पहले फेल बताए गए थे, लेकिन उत्तर पुस्तिका की दोबारा जांच में पास हो गए। इसके अलावा करीब ढाई सौ विद्यार्थी ऐसे भी हैं, जिनकी उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच में उनके अंक बढ़ गए हैं। पूरे मामले से साफ है कि उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में भारी गड़बड़ी हो रही है, जो विद्यार्थियों के भविष्य पर भारी पड़ रही है।
खुद पर था भरोसा, इसलिए अड़ी रही छात्रा
सुष्मिता को अकाउंट्स में 18 नंबर दिए गए थे, लेकिन उसने पाया कि इसमें से 17 नंबर तो उसे कॉलेज ने ही इंटरनल मार्क के तौर पर दिए थे। परेशान सुष्मिता ने सामाजिक कार्यकर्ता नितीन दलवी की मदद ली और मुंबई बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन उपासनी से मदद मांगी। मामले में सूचना के अधिकारी कानून के तहत अर्जी दी गई। उपासनी ने देखा कि बाकी विषयों में छात्रा के नंबर अच्छे थे, इसलिए उसे उत्तर पुस्तिका दिखाने का आग्रह स्वीकार कर लिया। छात्रा ने उत्तर पुस्तिका देखी, तो पाया कि उस पर किसी और की हैंडराइटिंग है। खुलासा हुआ कि किसी और विद्यार्थी के बारकोड से अदला-बदली के चलते गड़बड़ी हुई और सही उत्तर पुस्तिका खोजी गई, तो उसे अकाउंट में 65 अंक मिले थे। इसके बाद उसके कुल अंक भी 51 फीसदी से बढ़कर 59 फीसदी हो गए। स्नातक की पढ़ाई एक महीने पहले ही शुरू हो चुकी है जबकि अब सुष्मिता दाखिला लेने के लिए कॉलेज खोज रही है।
नितिन उपासनी, पूर्व अध्यक्ष, मुंबई विभागीय बोर्ड के मुताबिक बार कोड लगाने और उत्तर पुस्तिका जांचने को लेकर शिक्षकों को गंभीरता दिखानी चाहिए, यह विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा मामला है, लेकिन बार-बार हिदायत के बाद लापरवाही बरकरार है, इसे लेकर बड़े सुधार की जरूरत है।
नितीन दलवी, महाराष्ट्र राज्य विद्यार्थी शिक्षक पालक संघ के मुताबिक यह बेहद गंभीर मामला है, गड़बड़ी कैसे हुई, इसकी गहराई से जांच कर दोषियों को सजा दी जानी चाहिए, जिससे दूसरों को सबक मिले।