नई पारी: शिवसेना (शिंदे) के मिलिंद देवड़ा सहित राज्यसभा के 10 नए सदस्यों ने ली शपथ
- धनखड़ ने बुधवार को 10 नए सदस्यों को शपथ दिलाई
- सोनिया गांधी सहित कुछ अन्य नवनिर्वाचित सदस्य भी उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ले चुके हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को शिवसेना (शिंदे) के मिलिंद देवड़ा सहित सदन के 10 नवनिर्वाचित सदस्यों को सदस्यता की शपथ दिलाई। सभापति ने नए सदस्यों को संसद भवन परिसर स्थित अपने कार्यालय में शपथ दिलाई। जगदीप धनखड़ ने आज जिन सदस्यों को शपथ दिलाई, उनमें मिलिंद देवड़ा, रेणुका चौधरी, मयंकभाई नायक, नारायणसाके बंडागे, अजीत गोपचढ़े, अमरपाल मौर्य, संजय सेठ, रामजी लाल सुमन, सागरिका घोष और ममता ठाकुर का नाम शामिल है। इसके पहले कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कुछ अन्य नवनिर्वाचित सदस्य भी उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ले चुके हैं। इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और महासचिव पीके मोदी भी मौजूद थे।
कौन हैं देवड़ा?
मिलिंद देवड़ा मुंबई कांग्रेस का एक बड़ा नाम रहा। उनकी गिनती प्रदेश कांग्रेस के एक मजबूत नेता के रूप में रही है। 15वीं लोकसभा के सबसे युवा सदस्य के रूप में ही मिलिंद देवड़ा को पहचान मिली। वे महज 27 साल की उम्र में सांसद बन गए थे। 2004 के चुनावों में मिलिंद देवड़ा ने बीजेपी प्रत्याशी जयवंतीबेन मेहता को 10 हजार वोटों से हराया था. 2009 में मुंबई दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र मिलिंद देवड़ा को जीत मिली. उनका जन्म 4 दिसंबर 1976 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता वरिष्ठ राजनेता और मजबूत कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा हैं. मिलिंद देवड़ा कांग्रेस में अखिल भारतीय संयुक्त कोषाध्यक्ष की भूमिका में भी रह चुके है. वे मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
चुनाव आयोग के राज्यों को निर्देश, चुनाव संबंधी सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशक की हो स्पष्ट जानकारी
उधर चुनाव आयोग ने बुधवार को राजनीतिक दलों के प्रचार अभियान को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को होर्डिंग्स सहित छपवाई गयी चुनाव संबंधी सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशक का स्पष्ट नाम व पता दिए जाने को अनिवार्य तौर पर लागू कराने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में प्राप्त शिकायतों पर आयोग की पूर्ण पीठ ने यह निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127 ए में स्पष्ट है कि मुद्रक या प्रकाशक के नाम तथा पते के बिना चुनाव पम्पलेट, पोस्टर, तख्तियां या बैनर की छपाई नहीं की जा सकती। इससे चुनावी अभियानों का खर्च विनियमित होता है और आदर्श आचार संहिता या वैधानिक प्रावधानों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित होती है।