जबलपुर: रिंग रोड के पहले हिस्से में मोटरेबल एरिया की ही धज्जियाँ उड़ीं
- जहाँ पर फ्लाईओवर और अंडर व्हीकल पास बन रहे वहाँ गिट्टियाँ बिखर गईं
- रात के समय निर्माण एरिया से निकलना खतरों से भरा, 24 माह में तैयार होना है यह हिस्सा
- निर्माणाधीन मार्ग की बात करें तो मोटरेबल हिस्सा भी गायब सा नजर आ रहा है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। एकता चौक तिलहरी के अंडर व्हीकल पास से बरेला शारदा मंदिर तक और इसी अंडर पास से चूल्हा गोलाई की सीमा तक 16 किलोमीटर के दायरे में रिंग रोड के पहले हिस्से का निर्माण किया जा रहा है।
इस हिस्से में अभी जहाँ भी अंडर व्हीकल पास और फ्लाईओवर निर्माण हो रहा है उस हिस्से में सड़क की पूरी तरह से धज्जियाँ उड़ चुकी हैं। डामर बह चुका है और गिट्टियों में चलने के दौरान फिसलन भरी डगर है।
दिन में तो आदमी सड़क के इस हिस्से से जैसे-तैसे संघर्ष करते हुए आगे बढ़ता है लेकिन रात के समय इस पूरे एरिया से निकलना खतरों से भरा है, जहाँ भी अंडर व्हीकल पास के पास डायवर्सन मार्ग बनाया गया है वहाँ पर सड़क का हिस्सा पूरी तरह से धुल चुका है।
निर्माणाधीन मार्ग की बात करें तो मोटरेबल हिस्सा भी गायब सा नजर आ रहा है। गौरतलब है कि रिंग रोड के इस पहले हिस्से का निर्माण दिल्ली की जांडु कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है।
कंपनी को 24 माह में यह हिस्सा तैयार करके देना है और लगभग एक साल का समय बीतने के बाद अभी 45 फीसदी हिस्सा ही तैयार हो सका है। कुल 550 करोड़ की लागत से यह हिस्सा बनना है।
वैकल्पिक मार्ग और बारिश में टिकने लायक मटेरियल भी नहीं
एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि मार्ग को बारिश थमने पर कुछ दिनों में ही सुधार दिया जाएगा। इसे मोटरेबल कर दिया जाएगा। लोगों का कहना है कि तब तक क्या बारिश के दौरान सड़क बंद कर देनी चाहिए।
इसके लिए बोर्ड लगाकर वैकल्पिक मार्ग का विकल्प देना चाहिए। जानकारों का कहना है कि एनएचएआई को मॉस्टिक एस्फाल्ट एंड कान्क्रीट जैसे मटेरियल का इस्तेमाल करना चाहिए जो बारिश के दौरान लंबे समय तक टिका रह सके।
सड़क बदहाल तो टोल की वसूली क्यों
वाहन चालकों का कहना है कि जब रिंग रोड का पहला हिस्सा निर्माणाधीन है तो फिर इसमें निकलते वक्त टोल की वसूली क्यों की जा रही है। तकनीकी पहलू जो भी हो, इस मार्ग पर टोल वसूलना लोगों के गले नहीं उतर रहा है। इस पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।
गड्ढों में लग्जरी गाड़ी के दो टायर बर्स्ट
बीती रात रिंग रोड के इस पहले हिस्से से गुजरते समय जानलेवा गड्ढों में एक लग्जरी गाड़ी के दो टायर बर्स्ट हो गए, इस गाड़ी मालिक ने रात को ही फोन कर सूचित किया। बरेला के नजदीक जिस गड्ढे में गाड़ी का चका घुसा उसमें जरा सी भी और चूक होती तो जान तक जा सकती थी। रात के वक्त ऐसे गड्ढे इस मार्ग पर जान लेने उतारू हैं।
ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत
लोगों का आरोप है कि सड़क को निर्माण के दौरान मोटरेबल न रख पाने की मुख्य वजह यही होती है कि ठेका कंपनी और विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत होती है। एनएचएआई के अधिकारी विभाग में ऐसे ठेका कंपनियों के ठेकेदारों को बुलाकर गप मारते रहते हैं, जबकि होना यह चाहिए कि इनसे सख्ती के साथ तय शर्त पर काम कराया जाए। यह मिलीभगत पूरी तरह से भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मक्कारी की श्रेणी में आती है।
ब्रिजों की हालत पूरी तरह से हो गई है खस्ताहाल
रिंग रोड के इस हिस्से में पहले एकता चौक के अंडर व्हीकल पास के नजदीक ही गड्ढे हैं और साइड रोड पर वाहन का पूरा चका चला जाए ऐसी दशा है। बरेला की ओर गौर ब्रिज में तो इतने गड्ढे हैं कि गड्ढों से बच पाना संभव ही नहीं है।
इसी तरह चूल्हा गोलाई की ओर नर्मदा के ऊपर बने लगभग एक किलोमीटर के ब्रिज में भी ऊपर की सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं और कई हिस्सों में तो लोहे की सरिया तक नजर आने लगी हैं। इन हिस्सों में इस मानसून सीजन में निकलना फिलहाल बेहद मुश्किलों से भरा है। लोगों को आगे भी ऐसी ही मुसीबत झेलनी पड़ेगी।
मोटरेबल रख ना क्यों जरूरी
किसी भी छोटी या बड़ी सड़क के निर्माण के दौरान सड़क का मोटरेबल होना पहली शर्त में आता है लेकिन होता यही है कि कंस्ट्रक्शन कंपनी बारिश का बहाना लेकर ऐसी सड़क के हिस्से को (मोटरेबल) मोटर या वाहन आसानी से निकल सके ऐसी स्थिति में भी नहीं रख पाती हैं। इसको लेकर ठेका कंपनी लापरवाही बरतती है और इसी वजह से ऐसे हिस्सों से निकलना चुनौतियों से भरा होता है।
बारिश थमते ही तुरंत सुधार कर देंगे
गौर, नर्मदा ब्रिज को एमपीआरडीसी ने बनाया है उनको हम नया बना रहे हैं। इसमें उससे पहले सुधार कर दिया जाएगा। सड़क के और निर्माणाधीन हिस्से में विशेष तौर पर डायवर्सन प्वाॅइंट में अभी बारिश में जहाँ सड़क कुछ खराब हुई वहाँ बारिश यदि दो या तीन दिन भी रुके तो तुरंत सुधार दिया जाएगा। इसको लेकर विभाग पूरी तरह से सचेत है।
-अमृत लाल साहू, प्राेजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई