जबलपुर: साढ़े तीन करोड़ खर्च करके बनाया कैफेटेरिया अब पड़ा बेजार

  • बाजनामठ में स्मार्ट सिटी ने कराया है निर्माण
  • निराश लौट रहे लोग, कोई देखने वाला नहीं
  • मेन गेट पर लटक रहा ताला

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-10 13:05 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर को सँवारने के लिए स्मार्ट सिटी द्वारा करोड़ों की होली जलाई जा रही है। लेकिन आम नागरिकों को इन सुविधाओं का लाभ अभी तक नहीं मिल पा रहा है। ऐसा ही कुछ बाजनामठ क्षेत्र में भी देखा जा रहा है जहाँ संग्राम सागर के निकट 3.58 करोड़ की लागत से कैफेटेरिया तो बना दिया गया है

लेकिन संबंधित जिम्मेदार इसे चालू कराना शायद भूल गए हैं। यही वजह है कि मेनगेट में हमेशा ताला लटका रहता है और सैलानी इसे बाहर से ही देखकर वापस चले जाते हैं।

सैलानियों की तादाद देख शुरू कराया था निर्माण

जानकारों की मानें तो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले बाजनामठ क्षेत्र में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं सैलानी पहुँचते हैं। इसके अलावा इस इलाके में कई बड़ी-छोटी कॉलोनियाँ भी स्थित हैं। इसे देखते हुए क्षेत्र में सुसज्जित कैफेटेरिया बनवाने का निर्णय स्मार्ट सिटी के जिम्मेदारों द्वारा लिया गया था।

इसके बाद मंदिर के आगे ही जगह का चयन कर यहाँ पर कैफेटेरिया का निर्माण कार्य करीब 4 वर्ष पूर्व शुरू किया गया था।

स्विमिंग पूल में पनप रहे मच्छर

क्षेत्रीय जनों का आराेप है कि कैफेटेरिया परिसर में स्विमिंग पूल का निर्माण किया गया है। लेकिन उचित रखरखाव नहीं होने से स्विमिंग पूल में बारिश का पानी कई दिनों तक भरा रहता है। इस दौरान पानी में मच्छरों के लार्वा भी हो जाते हैं। जिसके कारण आसपास स्थित कॉलोनियों में डेंगू एवं मलेरिया जैसे घातक रोगों के फैलने का भी खतरा हमेशा बना रहता है। कई बार शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदारों ने कोई ध्यान नहीं दिया और कैफेटेरिया जहाँ बंद है तो वहीं मच्छरों की फौज लगातार पनपती रहती है।

जैसे-तैसे बना तो अब चालू नहीं किया

जानकारों की मानें तो कई महीनों तक निर्माण कार्य कराने के उपरांत करीब 8 माह पूर्व इसे कम्प्लीट भी कर दिया गया है। लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं कराया जा रहा है और दूर-दूर से आने वाले सैलानी भी बाहर से ही आकर लौट जाते हैं। इतना ही नहीं आसपास रहने वाले लोग भी सुबह एवं शाम को यहाँ वॉकिंग करने पहुँचते हैं तो उन्हें भी निराश होकर लौटना पड़ रहा है।

क्षेत्रीयजनों अतुल दुबे, नेहा शर्मा, हर्षित गोयल, रानी ठाकुर एवं दीप्ति रैकवार आदि का कहना है कि अभी तक कैफेटेरिया चालू नहीं किया गया। इस बीच असामाजिक तत्व तो यहाँ-वहाँ से अंदर घुस जाते हैं लेकिन सभ्य परिवारों को वापस लौटना पड़ता है।

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