जबलपुर: बिना अप्रूवल टर्मिनेट कर दिए टेंडर, अफसर बोले- सही किया

  • पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी का कारनामा
  • आरडीएसएस योजना से जुड़ा मामला, नियमों को दरकिनार कर लिए फैसले
  • टीम ने 100 करोड़ से ज्यादा के टेंडर पाने वाली कंपनियों को टर्मिनेट करने की कार्रवाई की।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-21 12:14 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन के उच्चाधिकारी नए विवाद में फँसते नजर आ रहे हैं। कम्पनी के शीर्ष अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने आरडीएसएस योजना के तहत जिन ठेकेदार फर्मों का टेंडर टर्मिनेट किया है, वो नियमों के खिलाफ है।

अधिकारों से जुड़े दस्तावेजों के मुताबिक, कंपनी के शीर्षस्थ अधिकारी सीएमडी को 25 करोड़ रुपए की राशि तक के टेंडरों पर कार्रवाई करने का अधिकार है, परन्तु कंपनी के अफसरों की टीम ने 100 करोड़ से ज्यादा के टेंडर पाने वाली कंपनियों को टर्मिनेट करने की कार्रवाई की।

एक तरफ कम्पनी के अंदरूनी सूत्रों द्वारा दिए गए दस्तावेज हैं तो दूसरी तरफ कम्पनी के उच्चाधिकारियों का दावा है कि उन्होंने जो किया है, वो सही है और नियम सम्मत है।

कैसे तोड़े गए कायदे

नियमावली के मुताबिक, जब भी 25 करोड़ से अधिक राशि वाले टेंडरों पर कार्रवाई करनी होती है तो कम्पनी के अधिकारियों की बाध्यता है कि वे प्रपोजल बीओडी(बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) को भेजें, लेकिन कुछ मामलों में अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया।

दो उदाहरण ताजातरीन हैं। एक, योजना के तहत 224 करोड़ का ठेका पाने वाली अम्बिका एसोसिएट एवं 108 करोड़ का टेंडर पाने वाली एलटेल प्रायवेट लिमिटेड। इन दोनों कम्पनियों को बैंक गारंटी उपलब्ध न होने पर टर्मिनेट कर दिया गया।

दोनों प्रकरणों में कार्रवाई के पहले बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से अनुमति नहीं माँगी गई, बल्कि एक्शन लेने के बाद बोर्ड को सूचना दी गयी। सूचना भी तब दी गयी, जब री-टेंडर का प्रपोजल बोर्ड को भेजा गया।

सौभाग्य में भी विवादों की छाया

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों पर आदिवासियों के घरों को रोशन करने वाली सौभाग्य योजना के कार्यान्वयन को लेकर भी आरोप लग चुके हैं, जिसमें सिवनी जिले के बरघाट विधायक कमल मर्सकोले ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना लगाई है।

जिसके अनुसार, 24 अक्टूबर 2017 को जारी आदेश में सौभाग्य योजना में घरेलू कनेक्शन के लिए आर्म्ड सर्विस केबल डिपार्टमेंट द्वारा प्रदान करने की बात कही गई थी, लेकिन 26 फरवरी 2018 को जारी आदेश के अनुसार आर्म्ड सर्विस केबल की सप्लाई ठेकेदार को सौंप दी गयी।

पहले वाले आदेश में प्रति घरेलू कनेक्शन प्रदान करने के लिए 3 हजार 5 सौ 14 रुपये, 90 पैसे तय किए थे, लेकिन दूसरे आदेश में ये राशि बढ़ाकर 4 हजार 4 सौ 61 रुपये, 38 पैसे कर दी गयी। इस राशि का भुगतान कंपनी द्वारा ठेकेदारों को किया गया है।

दस्तावेजों के अनुसार, राशि बढ़ाए जाने के कारण कंपनी को 90 करोड़ 34 लाख रुपये अतिरिक्त रूप से ठेेकेदारों को प्रदान किए गये। बिजली अफसरों ने रिकॉर्ड में कहीं उल्लेख नहीं किया कि ये बदलाव किस आधार पर किए गए।

योजना के अंतर्गत सभी कामों के लिए नियमानुसार टेंडर निकाले जाते हैं। जिन कंपनियों ने नियमों का पालन नहीं किया था, उनके विरुद्ध कंपनी के नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की गई है। कार्रवाई के विरुद्ध कंपनियाँ कोर्ट में गई थीं, जहाँ से उनको कोई राहत नहीं मिली।

- अजय दुग्गड़, महाप्रबंधक कार्य

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