जबलपुर: सीजीएसटी के 4 अधीक्षकों को लाभ दिलाने खुद एसडीएम बन बैठा रीडर

  • कर दिया जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन कलेक्टर ने रीडर को किया सस्पेंड
  • 4 अधीक्षक और रीडर पर विजय नगर थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज
  • सीजीएसटी के चारों अधीक्षकों ने 1989 में बने आदिवासी वर्ग के जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया था।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-30 11:47 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। एसडीएम के फर्जी साइन के जरिए सीजीएसटी के 4 अधीक्षकों के जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन करने के लिए रीडर खुद ही एसडीएम बन बैठा और अपनी तरफ से ही प्रमाण पत्रों का सत्यापन कर दिया।

मामले का जब खुलासा हुआ तो सभी चौंक गए और तत्काल ही रीडर को सस्पेंड करते हुए उसके और चारों सीजीएसटी अधीक्षकों के खिलाफ विजय नगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया गया है।

अधारताल एसडीएम शिवाली सिंह द्वारा विजय नगर थाने में दी गई शिकायत के अनुसार सेंट्रल जीएसटी में अधीक्षक के पद पर तैनात मुकेश बर्मन, मनीष कोशरिया, सतीश रैकवार और राजेश बर्मन के जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन होना था।

इसके लिए सीजीएसटी के सहायक आयुक्त सतर्कता द्वारा अधारताल एसडीएम शिवाली सिंह से पत्राचार किया गया और सत्यापन के लिए जाति प्रमाण पत्र एसडीएम कार्यालय भेजे गए। सभी प्रमाण पत्र वर्ष 1989 के बने हुए थे।

एसडीएम कार्यालय में रीडर संजय पुराविया ने सभी प्रमाण पत्रों को एसडीएम के फर्जी डिजिटल साइन के माध्यम से सत्यापित कर दिया। मामला तब बिगड़ा जब सीजीएसटी के अधिकारियों ने देखा कि सत्यापित प्रमाण पत्रों में सील नहीं लगी है और हस्ताक्षर में भी कुछ गड़बड़ी थी।

बात एसडीएम तक पहुँची

सीजीएसटी के अधिकारियों ने तत्काल ही मामले की सूचना एसडीएम श्रीमती सिंह को दी। एसडीएम ने रीडर से पूछताछ की और साफ कहा कि कहीं इस मामले में उन्होंने ही तो सत्यापन नहीं किया है।

पहले तो रीडर साफ मुकरता रहा लेकिन जब उसे पता चला कि सीजीएसटी के अधिकारियों ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और पूरी जाँच हो चुकी है। इसके बाद उसने स्वीकार कर लिया कि यह कार्य उसने सीजीएसटी के अधीक्षक मुकेश बर्मन के कहने पर किया है।

बात पहुँची कलेक्टर तक

एसडीएम को जब यह पक्का हो गया कि उनके फर्जी साइन से ही यह सब हुआ तो उन्होंने कलेक्टर दीपक सक्सेना को मामले की जानकारी दी। कलेक्टर ने साफ कहा कि ऐसा फर्जीवाड़ा करने वालों को तो जेल जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाए। इसके बाद उन्हाेंने विजय नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने धारा 420, 464, 467, 468, 471, 120बी और 34 के तहत प्रकरण दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है।

लाभ लेने वाले भी दोषी होते हैं

इस मामले में सीजीएसटी के चारों अधीक्षकों ने 1989 में बने आदिवासी वर्ग के जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया था। अब सत्यापन नहीं किए जाते हैं इसलिए पहले जारी किए गए प्रमाण पत्रों में जिस एसडीएम के हस्ताक्षर थे उसी की फोटो कॉपी करा ली गई और उससे ही सत्यापित करा दिया गया।

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