जिम्मेदारों ने पल्ला झाड़ा: मेडिकल तिराहे पर बनी रोटरी में करंट का मामला, परिवार के सपने हुए चकनाचूर

  • गरीबी के बोझ तले दबा परिवार मातम में डूबा हुआ है।
  • दूसरी तरफ बेशर्म व्यवस्था के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते हुए पल्ला झाड़ने लगे हैं।
  • अच्छी शिक्षा दिलाने का जो सपना देखा था, वह अब चूर हो गया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-09 14:24 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सब्जी की दुकान लगाने, मजदूरी करने के बाद अशोक केवट ने अपने 13 वर्षीय बच्चे अर्जुन को अच्छी शिक्षा दिलाने का जो सपना देखा था, वह अब चूर हो गया है।

मातम में डूबे माता-पिता ने सोचा था कि उनका बेटा पढ़-लिखकर परिवार को गरीबी के नर्क से निकालेेगा। माता-पिता अपना पेट काटकर बच्चे को इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा दिलाते रहे लेकिन उनका बेटा मेडिकल तिराहे पर बनी रोटरी के अंदर लापरवाह व्यवस्था की बलि चढ़ गया।

गरीबी के बोझ तले दबा परिवार मातम में डूबा हुआ है।पिसनहारी मढ़िया के पास स्थित विद्यासागर नगर में पहाड़ी पर बने एक झोपड़ी में रहना वाला अशोक केवट अपनी पत्नी नीलू केवट व दो बच्चों के साथ रहकर किसी तरह अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहा था। शुक्रवार को वह

मेडिकल तिराहे पर बनी रोटरी के पास सब्जी की दुकान लगाकर बैठा था और उसे इस बात का आभास भी नहीं था कि उसके परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूटने वाला है। दोपहर के वक्त उनका बड़ा बेटा अर्जुन रोटरी के अंदर करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई।

परिजनों को अभी भी इस बात का भरोसा नहीं हो रहा है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। दूसरी तरफ बेशर्म व्यवस्था के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते हुए पल्ला झाड़ने लगे हैं। हालांकि बालक की करंट से मौत होेने की जानकारी लगने पर कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह ने एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था। प्रतिनिधिमंडल द्वारा परिजनों को सांत्वना जताते हुए मंत्री श्री सिंह द्वारा आर्थिक सहायता के रूप में 2 लाख रुपये नकद दिए गये थे। वहीं प्रशासन की

तरफ से 20 हजार की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। मगर कहा जा रहा है कि यह सहायता राशि परिवार के लिए नाकाफी है।

ननि की लापरवाही से हुआ हादसा

पिसनहारी मढ़िया के पास रहने वाले मृतक के मामा अंकित का कहना था कि उनका भांजा अर्जुन ननि की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। वहीं परिजनों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि जिम्मेदार अधिकारियों को सांत्वना देने की भी फुर्सत नहीं मिली। परिवार के सदस्य अपने बच्चे की मौत के लिए ननि को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उनका कहना है कि हादसे के लिए जो भी दोषी है उसे सजा मिलनी चाहिए।

जिम्मेदारों ने चुप्पी साधी

क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि रोटरी का निर्माण करीब एक दशक पूर्व ननि द्वारा कराया गया था, वहीं दूसरे लाॅकडाउन में रोटरी के अंदर फव्वारे लगाए गये थे। फव्वारों काे चलाने के लिए उसमें लापरवाहीपूर्वक विद्युत लाइन बिछाई गई थी जिसके चलते हादसा हुआ है।

हादसे के बाद जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों ने बेशर्मी की चादर अोढ़ ली और किसी ने पीड़ित परिवार की सुध नहीं ली, न ही किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान की, वहीं हादसे की खबर लगने पर चुपचाप कुछ लोग आये जो कि विद्युत लाइन के तार काटकर ले गये।

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