शिवाजी महाराज स्मारक के टेंडर प्रक्रिया की होगी समीक्षाः चव्हाण
डिजिटल डेस्क , मुंबई। प्रदेश सरकार मुंबई के अरब सागर में बनने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक के टेंडर प्रक्रिया की समीक्षा टेंडर को लेकर नीतिगत फैसला करेगी। विधान परिषद में प्रदेश के पीडब्लूडी मंत्री अशोक चव्हाण ने यह जानकारी दी। चव्हाण ने कहा कि नियंत्रक व महालेखा परिक्षक (कैग) ने टेंडर प्रक्रिया को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है।
बुधवार को प्रश्नकाल में राकांपा के सदस्य हेमंत टकले ने शिवाजी महाराज स्मारकके निर्माण में अनियमितता को लेकर सवाल पूछा था।चव्हाण ने कहा कि मैं इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा हूं कि परियोजना में घोटाला हुआ है। लेकिन कैग ने जो आपत्ति जताई है उस की समीक्षा होगी। क्योंकि परियोजना के मूल ठेके की राशि और संशोधित राशि में अंतर है। परियोजना के लिए पहले 2581 करोड़ रुपए और जीएसटी की राशि देने को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद 3 हजार 646 करोड़ रुपए की संशोधित मंजूरी दी गई। लेकिन परियोजना के ठेकेदार एलएंडटी कंपनी को सरकार की तरफ से एक भी रूपया नहीं दिया गया है।
चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण स्मारक का काम रूका हुआ है। सरकार इस रोक को हटाने के लिए अदालत में मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। मंत्री चव्हाण ने कहा कि पिछले पांच सालों में तत्कालीन भाजपा सरकार ने स्मारक परियोजना को गति नहीं दे सकी। पिछली सरकार का टेंडर में बदलाव के पीछे उद्देश्य क्या था। यह पता लगाने की जरूरत है। शिवाजी महाराज के स्मारक में इस तरह के मामला सामने आना महाराष्ट्र के लिए अशोभनीय है। चव्हाण ने कहा कि 15 सितंबर 2018 को शिव स्मारक समिति के तत्कालीन अध्यक्ष विनायक मेटे ने परियोजना को लेकर सरकार को पत्र लिखा था।
परियोजना आर्थिक मसलों पर फैसला लेते हुए मेटे को विश्वास में नहीं लिया था। इस बीच सदन में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि मंत्री कह रहे हैं कि पांच साल में पहले की सरकार ने कुछ नही किया। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने परियोजना से जुड़ी सभी मंजूरी केंद्र सरकार से हासिल की थी। इस पर सत्ताधारी दल के सदस्यों ने बैठ-बैठ कहा कि उपकार नहीं किया था। इस परदरेकर ने पलटवार करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार भी उपकार नहीं कर रही है। मैंने वही बात कही है जो पिछली सरकार ने किया है। इसके बाद चव्हाण ने कहा कि स्मारक के लिए सदन के सभी सदस्यों की मदद की आवश्यकता है। इसलिए इस पर सदन में आरोप-प्रत्यारोप करना ठीक नहीं है।
Created On :   4 March 2020 7:37 PM IST