मायावती बोली, बाबा साहेब की उपेक्षा करने वाले राजनीतिक स्वार्थ के लिए दे रहे श्रद्धांजंलि

Mayawati said, paying homage to those who ignore Babasaheb for political selfishness
मायावती बोली, बाबा साहेब की उपेक्षा करने वाले राजनीतिक स्वार्थ के लिए दे रहे श्रद्धांजंलि
उत्तर प्रदेश मायावती बोली, बाबा साहेब की उपेक्षा करने वाले राजनीतिक स्वार्थ के लिए दे रहे श्रद्धांजंलि
हाईलाइट
  • उपेक्षित वर्गों के प्रति पहले अपनी नीयत साफ करें सरकार

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आंबेडकर जयंती के मौके पर गुरूवार को लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जिन जातिवादी पार्टियों ने बाबा साहेब की उपेक्षा की आज वह राजनीतिक स्वार्थ के लिए श्रद्धांजलि देने की होड़ लगाए हैं।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि जिन जातिवादी पार्टियों ने हमेशा बाबा साहेब की उपेक्षा व तिरस्कार किया आज वही राजनीतिक स्वार्थ की खातिर उनको श्रद्धांजलि देने की होड़ में लगे दिखाई पड़ते हैं। यह उनके दोहरे चाल, चरित्र, चेहरा नहीं तो और क्या। वे उपेक्षित वर्गों के प्रति पहले अपनी नीयत साफ करें तथा उनका हक दें व अन्याय-अत्याचार रोकें।

उन्होंने आगे कहा कि इन शोषित वर्गों के लिए हक, न्याय एवं राजनीतिक भागीदारी के लिए हर प्रकार का संघर्ष बसपा का ओढ़ना-बिछौना है। यह संघर्ष लगातार जारी रहेगा चाहे इसके विरुद्ध विरोधी पार्टियां व इनकी सरकारें कितने ही हथकंडे क्यों न अपनाएं। बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की सोच व संघर्ष के विपरीत सरकारी सम्पत्तियों को धड़ल्ले से निजी हाथों में बेचने से आरक्षण की निष्क्रियता के साथ-साथ देश में कुछ मुट्ठीभर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की तिजोरियों में ही सिमट जाने से देश में गरीबी व आर्थिक असमानता घातक तौर पर बढ़ती ही चली जा रही है। जिसके लिए कांग्रेस व भाजपा सरकारें पूरी तरह से कसूरवार हैं।

मायावती ने कहा कि जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त विरोधी पार्टियों व इनकी सरकारें बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के संघर्षों व संदेशों की कितनी ही अवहेलना करके उनके अनुयाइयों पर शोषण, अन्याय-अत्याचार व द्वेष आदि जारी रखें, किन्तु उनके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का बीएसपी मूवमेन्ट रुकने और झुकने वाला नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा जातिवादी सरकारें उपेक्षित वर्ग के नेताओं को अपने समाज का भला करने की छूट नहीं देती हैं। यदि कोई कुछ करने का प्रयास करता है तो उसको दूध की मक्खी की तरह निकाल-बाहर कर दिया जाता है, जैसा कि अब तक यहां होता रहा है। इसीलिए इन वर्गों की हालत अभी तक मजबूर व लाचार, यह अति-दु:खद है।

 

 (आईएएनएस)

Created On :   14 April 2022 12:00 PM IST

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