बाघ संरक्षण क्षेत्रों के प्रबंधन में मध्यप्रदेश फिर होगा टॉप पर: वनमंत्री डॉ. शाह!

Madhya Pradesh will again top in the management of tiger conservation areas: Forest Minister Dr. Shah!
बाघ संरक्षण क्षेत्रों के प्रबंधन में मध्यप्रदेश फिर होगा टॉप पर: वनमंत्री डॉ. शाह!
बाघ संरक्षण बाघ संरक्षण क्षेत्रों के प्रबंधन में मध्यप्रदेश फिर होगा टॉप पर: वनमंत्री डॉ. शाह!

डिजिटल डेस्क | छतरपुर वन्य जीव संरक्षण क्षेत्रों के प्रबंधन और मूल्यांकन में मध्यप्रदेश अन्य प्रदेशों से बढ़त बनाये हुए है। कान्हा, सतपुड़ा, बांधवगढ और पन्ना को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली है। वनमंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने वन्य जीव प्रबंधन से जुडे़ अमले को बधाई देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश जिस प्रकार अनेक क्षेत्रों में कामयाबी के शिखर पर पहुंचा है वैसे ही वन्य जीव संरक्षण में भी पूरे देश में गौरव प्राप्त करेगा। वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैण्डर्ड की अंतर्राष्ट्रीय समिति और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा संयुक्त रूप से संचालित 17 मुख्य मापदण्डों और उनसे जुड़े अन्य उप घटकों के आधार पर बाघ संरक्षण क्षेत्रों के प्रबंधन स्तर के मूल्यांकन चार चरण में प्रक्रिया पूरी कर मान्यता दी जाती है। उल्लेखनीय है कि इस समिति द्वारा पेंच टाइगर, बांधवगढ़ टाइगर और संजय टाइगर रिजर्व में तीन चरण पूर्ण किए जा चुके हैं।

अब प्रदेश के टाइगर रिजर्व को सीए/टीएस अनुसार प्रबंधन की दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानदण्डों पर खरे उतरना है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश बाघ संरक्षण क्षेत्रों के प्रबंधन में अन्य सभी राज्यों में शीर्ष स्थान पर होगा। सतपुड़ा और पन्ना टाइगर रिजर्व को यह अंतर्राष्ट्रीय मान्यता पहले ही मिल चुकी है। इस तरह प्रदेश के सभी 6 टाइगर रिजर्व अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता को पूर्ण करेंगे। इससे पहले भी टाइगर रिज़र्व के प्रबंधन की प्रभावशीलता मूल्यांकन में पेंच टाइगर रिजर्व देश में सर्वोच्च रैंक हासिल कर चुका है। बांधवगढ़, कान्हा, संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाले टाइगर रिजर्व माना गया है।

इन राष्ट्रीय उद्यानों में अनुपम प्रबंधन योजनाओं और नवाचारी तरीकों को अपनाया गया है। हरेक टाइगर रिजर्व की है यह विशेषता वन्य जीव संरक्षण मामलों पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रभावी प्रबंधन के आकलन से संबंधित आंकडों की आवश्यकता होती है। ये आंकडे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के विश्व संरक्षण निगरानी केंद्र में रखे जाते हैं। टाइगर रिजर्व की प्रबंधन शक्तियों का आकलन कई मापदण्डों पर होता है जैसे योजना, निगरानी, सतर्कता, निगरानी स्टाफिंग पैटर्न, उनका प्रशिक्षण, मानव, वन्य-जीव संघर्ष प्रबंधन, सामुदायिक भागीदारी, संरक्षण, सुरक्षा और अवैध शिकार निरोध के उपाय आदि। पेंच टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को देश में उत्कृष्ट माना गया है। फ्रंट-लाइन स्टाफ को उत्कृष्ट और ऊर्जावान पाया गया है। वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दर्ज सभी मामलों में पैरवी कर आरोपियों को दंडित करने में प्रभावी काम किया गया है।

मानव-बाघ और बाघ-पशु संघर्ष के मामलों में पशु मालिकों को तत्काल वित्तीय राहत दी जा रही है। साथ ही उन्हें विश्व प्रकृति निधि भारत से भी सहयोग दिलवाया जा रहा है। नियमित चरवाहा सम्मेलन आयोजित किये जा रहे हैं और चरवाहों के स्कूल जाने वाले बच्चों को शैक्षिक सामग्री वितरित की जा रही है। इसके अलावा, ग्राम स्तरीय समितियों, पर्यटकों के मार्गदर्शकों, वाहन मालिकों, रिसॉर्ट मालिकों और संबंधित विभागों और गैर सरकारी संगठनों के प्रबंधकों के प्रतिनिधियों की बैठकें भी होती हैं। पर्यटन से प्राप्त आय का एक तिहाई हिस्सा ग्राम समितियों को दिया जाता है।

परिणामस्वरूप इन समितियों का बफर ज़ोन के निर्माण में पूरा सहयोग मिलता है। पर्यटन से प्राप्त आय पार्क विकास फंड में दी जाती है और इसका उपयोग बेहतर तरीके से किया जाता है। इसी तरह, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने बाघ पर्यटन द्वारा प्राप्त राशि का उपयोग कर ईको विकास समितियों को प्रभावी ढंग से पुनर्जीवित किया गया है। वाटर होल बनाने और घास के मैदानों के रखरखाव के लिए प्रभावी वन्य-जीव निवास स्थानों को रहने लायक बनाने का कार्यक्रम भी चलाया गया है। मानव, वन्य-जीव संघर्षों को ध्यान में रखते हुए मवेशियों एवं मानव मृत्यु और जख्मी होने के मामले में राहत एवं सहायता राशि के तत्काल भुगतान की व्यवस्था बनाई गई है। कान्हा टाइगर रिजर्व ने अनूठी प्रबंधन रणनीतियों को अपनाया है। कान्हा, पेंच वन्य-जीव विचरण कारीडोर भारत का पहला ऐसा कारीडोर है। इस कारीडोर का प्रबंधन स्थानीय समुदायों, सरकारी विभागों, अनुसंधान संस्थानों, नागरिक संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है। पार्क प्रबंधन ने वन विभाग कार्यालय परिसर में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी स्थापित किया है, जो वन विभाग के कर्मचारियों और आसपास क%8

Created On :   17 Sept 2021 4:34 PM IST

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