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कर्नाटक हाईकोर्ट ने वकील से शुक्रवार तक दलीलें पूरी करने को कहा
![Karnataka High Court asks lawyer to complete arguments by Friday Karnataka High Court asks lawyer to complete arguments by Friday](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2022/02/828249_730X365.jpg)
- उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद राज्य में एक संकट बन गया है
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट की पीठ ने हिजाब पहनने के अपने अधिकार के लिए दबाव डालने वाली छात्राओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी वकीलों से शुक्रवार तक अपनी दलीलें पूरी करने को कहा है। दलीलें पूरी होने पर अदालत अपना फैसला सुरक्षित रख सकती है और बाद में निर्णय देगी। इस बीच, सुनवाई के 10वें दिन गुरुवार को तीन जजों की पीठ ने उन वकीलों की दलील सुनी, जिन्होंने हिजाब के अधिकार के लिए जोर-शोर से दबाव बनाया।
हिजाब पहनने के अधिकार से वंचित छात्राओं के वकील डार ने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए विस्तृत तर्क पेश किया। उन्होंने कहा कि हिजाब मुस्लिम लड़कियों के लिए जीने और मरने का सवाल है। उन्होंने पीठ के सामने कक्षाओं में हिजाब को प्रतिबंधित करने का आदेश पारित करने वाली राज्य सरकार पर कड़ी कार्रवाई करने की प्रार्थना की।
वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कक्षाओं में हिजाब पहनने के खिलाफ तर्को और पिछले निर्णयों के उद्धरण के लिए अपना खंडन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने के संबंध में जारी सरकारी आदेश स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने के लिए लड़कियों को शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश से वंचित करना उनके शिक्षा के अधिकार को प्रभावित कर रहा है।
इस पर पीठ की अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी ने कामत से कहा कि वह एक निर्धारित वर्दी वाली संस्था के अंदर हेडगियर पहनने पर जोर दे रहे हैं। सीजे ने आगे कहा कि जैसा कि कामत भी कहते हैं कि यह मौलिक अधिकार है और उनसे अपने (याचिकाकर्ता छात्राओं) अधिकार को स्थापित करने के लिए कहा। उन्होंने रेखांकित किया कि अनुच्छेद 25 (2) राज्य को दी गई एक सुधारात्मक शक्ति है।
कामत ने कहा कि इस्लाम के तहत हिजाब पहनना वास्तव में एक अनिवार्य प्रथा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अधिनियम और वर्दी नियम सामाजिक सुधार का पैमाना नहीं हो सकता और हिजाब पहनना प्रतिगामी प्रथा नहीं है, जैसा कि एजी द्वारा चित्रित किया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कृष्णकुमार उडुपी कॉलेज के व्याख्याता की ओर से पेश हुए, जिन्हें प्रतिवादी बनाया गया है। उन्होंने ड्रेस कोड के पक्ष में अपना तर्क पेश किया है।
उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद राज्य में एक संकट बन गया है। छात्राओं ने बिना हिजाब के कक्षाओं में जाने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वे अंतिम फैसला आने तक इंतजार करेंगी। हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था, जिसमें कक्षाओं के अंदर हिजाब और भगवा शॉल या स्कार्फ, दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस विवाद को लेकर राज्य में आंदोलन जारी है।
(आईएएनएस)
Created On :   25 Feb 2022 12:30 AM IST