पिंजड़े में मछली पकड़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने को गोवा को मिले 400 करोड़ रुपये : मंत्री नीलकंठ

Goa gets Rs 400 crore to promote cage fishing culture: Minister Neelkanth
पिंजड़े में मछली पकड़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने को गोवा को मिले 400 करोड़ रुपये : मंत्री नीलकंठ
गोवा पिंजड़े में मछली पकड़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने को गोवा को मिले 400 करोड़ रुपये : मंत्री नीलकंठ
हाईलाइट
  • मछुआरों को प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी नहीं होती

डिजिटल डेस्क, पणजी। केंद्र सरकार ने तटीय राज्य गोवा में पिंजरे में मछली पकड़ने के उत्पादन को बढ़ावा देने वाले बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए 400 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। राज्य के मत्स्य पालन मंत्री नीलकंठ हलारंकर ने बुधवार को यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार समुद्री मछली पकड़ने के पेशे के साथ आने वाले जोखिमों को कवर करने के लिए गोवा में पंजीकृत मछुआरों को जीवन बीमा प्रदान करने पर विचार कर रही है।

हलारंकर ने बुधवार को मंत्रालय का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद संवाददाताओं से कहा, (पूर्व पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री) गिरिराज सिंह ने इसके लिए गोवा को 400 करोड़ रुपये का वादा किया था। मुझे लगता है कि यह स्वीकृत है। हमें इसे प्राप्त करने और इसे सक्रिय मछुआरों को वितरित करने की जरूरत है। उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा और झींगे की खेती की तर्ज पर उनकी मदद जाएगी।

गोवा में मछली पकड़ने को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय अनुदान का उद्देश्य गोवा में पिंजड़े में मछली पकड़ने की संस्कृति को बढ़ावा देना है। गोवा तट पर पानी के प्रदूषण और बड़े पैमाने पर विकास गतिविधियों के कारण राज्य पिछले कुछ वर्षो में मछली पकड़ने में गिरावट आने से पीड़ित है। राज्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनका विभाग पड़ोसी राज्यों के मछुआरों द्वारा गोवा के समुद्र में अवैध रूप से मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने की कोशिश करेगा।

मंत्री ने कहा, मैं विभाग से फीडबैक लूंगा और इसे रोकने के तरीके ढूंढूंगा। छोटे मछुआरे रोशनी का उपयोग करके (अवैध) मछली पकड़ने की शिकायत करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अधिक उपज नहीं मिलती है। हम कारवार (कर्नाटक) से आने वाले मछुआरों को प्रतिबंधित करने की भी कोशिश कर रहे हैं और महाराष्ट्र के मछुआरे भी हमारे पानी में मछली पकड़ रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि समुद्र में जाने वाले मछुआरों को बीमा के तहत कवर किया जाएगा। समुद्र में जाने वाले मछुआरों का बीमा होना चाहिए, चाहे वह बागा, कलंगुट या कोलवा में जाएं। उनका जीवन जोखिम भरा है। किसान और मछुआरे में अंतर है। किसान सुबह खेत में जाते हैं और मछुआरे समुद्र में जाते हैं, मगर उन्हें प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी नहीं होती।

 

 (आईएएनएस)

Created On :   13 April 2022 8:01 PM IST

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