दुष्कर्म का झूठा मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को नेत्रहीन स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया

False rape case: Delhi High Court orders woman to do social service in blind school
दुष्कर्म का झूठा मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को नेत्रहीन स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट दुष्कर्म का झूठा मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को नेत्रहीन स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया

 डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दुष्कर्म का फर्जी मामला दर्ज कराने वाली एक महिला को एक नेत्रहीन स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया।दिल्ली उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म की शिकायत में आरोपों को पार्टियों के एक समझौता विलेख (समझौता पत्र) के विपरीत पाया, जिसके बाद अदालत ने इसे बहुत अनुचित और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए महिला को एक अनोखी सजा सुनाई और उसे एक नेत्रहीन (ब्लाइंड) स्कूल में समाज सेवा करने का आदेश दिया।

महिला की शिकायत के अनुसार, दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि कथित आरोपी ने उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाई और पीने के बाद वह बेहोश हो गई और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया गया।हालांकि, एक समझौता बयान के अनुसार, महिला ने स्वीकार किया कि आरोपी व्यक्ति ने कभी भी उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित नहीं किए थे।

पता चला कि महिला का आरोपी के साथ पैसों को लेकर विवाद चल रहा था, जिसके कारण वह परेशान थी और कुछ लोगों की गलत सलाह मानकर वह गुमराह हो गई और उसने प्राथमिकी दर्ज करा दी थी।समझौता विलेख के अनुसार, पार्टियों (दोनों पक्ष) ने अब अपनी सभी शिकायतों और विवादों को बिना किसी बल, अनुचित प्रभाव या किसी भी दबाव के बिना अपनी मर्जी और पसंद से सुलझा लिया है और इसमें पार्टियों की कोई मिलीभगत नहीं है।

दरअसल आरोपी ने दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।अदालत ने कहा कि प्राथमिकी और समझौता विलेख में आरोप पूरी तरह से विपरीत हैं और उनका मानना है कि महिला का आचरण बहुत अनुचित है और यह कानून की प्रक्रिया का कुल मिलाकर सरासर दुरुपयोग है।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने हाल के आदेश में कहा, प्रतिवादी संख्या 2 (महिला) का कहना है कि वह मानसिक अवसाद से गुजर रही है, जिसके परिणामस्वरूप गुमराह और गलत सलाह के तहत उसने प्राथमिकी दर्ज की है।न्यायाधीश ने कहा, मेरा विचार है कि प्रतिवादी नंबर 2 ने अपने पूरे आचरण में बहुत अनुचित किया है।

हालांकि अदालत ने मानवीय तौर पर महिला को कोई सख्त सजा नहीं सुनाई। न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि, वे इस तथ्य को नहीं भूल सकते कि प्रतिवादी संख्या 2 (महिला) अपने परिवार के साथ रह रही है और उसके 4 बच्चे हैं (एक बेटी 12 वर्ष की आयु की है और लगभग 3 वर्ष की आयु के तीन बच्चे हैं।)

तदनुसार, महिला के आरोपों पर दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया गया और महिला को अखिल भारतीय नेत्रहीन परिसंघ, रोहिणी में दो महीने तक हफ्ते के 5 दिन, रोज 3 घंटे के लिए सोशल सर्विस करने का आदेश दिया।मामले में व्यक्ति को रोहिणी क्षेत्र में 50 पौधे लगाने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने कहा, प्रत्येक पेड़ का नर्सरी जीवन 3 साल का होगा और याचिकाकर्ता इन पेड़ों की 5 साल तक देखभाल करेंगे।

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   1 Aug 2022 10:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story