बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव बंद्योपाध्याय की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

Delhi High Court reserves order on the petition of former Bengal Chief Secretary Bandyopadhyay
बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव बंद्योपाध्याय की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
दिल्ली हाईकोर्ट बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव बंद्योपाध्याय की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।

बंद्योपाध्याय ने कैट की प्रधान पीठ के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसने केंद्र द्वारा पश्चिम बंगाल से राष्ट्रीय राजधानी में शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही से संबंधित उनके मामले को स्थानांतरित कर दिया था।

पूर्व सिविल सेवक बंद्योपाध्याय उस समय सुर्खियों में आए थे, जब वह पिछले साल मई में चक्रवात यास के मद्देनजर कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

दलीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पक्षों से शनिवार तक लिखित में अपना पक्ष रखने को कहा।

सुनवाई के दौरान, केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूर्व मुख्य सचिव (सीएस) के उल्लंघन की ओर इशारा करते हुए कहा कि कैट के पास मामले को स्थानांतरित करने की विशेष शक्ति है।

पिछली सुनवाई में, अलपन बंद्योपाध्याय के वकील ने प्रस्तुत किया था कि कैट का आदेश प्राकृतिक न्याय, समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के पूर्ण उल्लंघन में पारित किया गया था। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि उन्हें स्थानांतरण याचिका पर अपनी लिखित आपत्तियां दर्ज करने का अधिकार भी नहीं दिया गया।

घटना के बाद बंद्योपाध्याय को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नौकरशाह ने, हालांकि, सेवा से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वह केंद्र द्वारा शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही के अधीन बने हुए थे।

इसके बाद उन्होंने इस कार्यवाही के खिलाफ कोलकाता में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद, दिल्ली में कैट की प्रधान पीठ ने मामले को राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया।

बंद्योपाध्याय ने कैट, नई दिल्ली के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया। हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को जिस तरह से बंदोपाध्याय के मामले को अपने पास स्थानांतरित करने में केंद्र सरकार का पक्ष लिया था, उस पर कड़ी आपत्ति जताई और कैट के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद, केंद्र ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि बंद्योपाध्याय की याचिका पर फैसला करने का अधिकार कलकत्ता उच्च न्यायालय के पास नहीं है। इसने बंद्योपाध्याय को कैट के आदेश को चुनौती देने के लिए क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय (दिल्ली) का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता भी दी थी।

(आईएएनएस)

Created On :   25 Feb 2022 10:00 PM IST

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