हाथियों की मौत पर अदालत की सख्त टिप्पणी, वन्य प्राणी घटते गए और अफसरों की संख्या बढ़ती गई

Courts strict remarks on the death of elephants in Jharkhand, wildlife decreased and the number of officers increased
हाथियों की मौत पर अदालत की सख्त टिप्पणी, वन्य प्राणी घटते गए और अफसरों की संख्या बढ़ती गई
झारखंड हाथियों की मौत पर अदालत की सख्त टिप्पणी, वन्य प्राणी घटते गए और अफसरों की संख्या बढ़ती गई
हाईलाइट
  • झारखंड में हाथियों की मौत पर अदालत की सख्त टिप्पणी
  • वन्य प्राणी घटते गए और अफसरों की संख्या बढ़ती गई

डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने लातेहार में दो हाथियों की मौत के मामले में शुक्रवार को वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही पर सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि जंगलों में वन्य प्राणियों की संख्या घटती गई, पेड़ कटते गए लेकिन इन्हें बचाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई के बदले वन विभाग में सिर्फ अधिकारियों के पद बढ़ते चले गए।

बता दें कि पिछले साल अगस्त और सितंबर में लातेहार में दो हाथियों की मौत हो गई थी। इनमें एक हाथी का बच्चा भी था। इस पर बीते 10 दिसंबर को हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए वन विभाग के सचिव और राज्य के मुख्य वन संरक्षक को कोर्ट में हाजिर होकर वन्य प्राणियों की मौत पर जवाब देने को कहा था। शुक्रवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच ने इस मामले में आगे सुनवाई करते हुए वन विभाग की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया।

अदालत ने कहा कि झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में जब वर्ष 2018 में पलामू टाइगर रिजर्व एरिया में 5 बाघ दिखे थे, तो विभागीय अधिकारियों ने उन्हें ट्रैक क्यों नहीं किया? इस बात का पता क्यों नहीं लगाया कि पीटीआर में कितने मेल टाइगर थे और कितने फीमेल? आखिर बाघों के पलायन का कारण क्या है?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि वन विभाग के उच्च पदों पर नियुक्त 20 ऑफिसर्स ने सरकार को अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है और क्या सरकार ने कभी इनकी संपत्ति की निगरानी जांच करायी है? अदालत चाहती है कि उच्च पदों पर पदस्थापित अधिकारियों की संपत्ति की जांच एसीबी से करायी जाए और उसकी रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। कोर्ट के आदेश पर ही उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। हालांकि राज्य सरकार की ओर बार-बार आग्रह किए जाने के बाद कोर्ट ने इसपर कोई आदेश पारित नहीं किया।

इस दौरान पीसीसीएफ की ओर से बाघों सहित अन्य जानवरों के संरक्षण के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करने के लिए समय की मांग की गयी। अदालत ने मामले की आगामी सुनवाई के लिए 4 फरवरी की तिथि तय की है।

 

आईएएनएस

Created On :   22 Jan 2022 1:00 AM IST

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