नालंदा में शराब से हुई मौत के बाद खानापूर्ति करने में जुटा प्रशासन

After the death due to alcohol in Nalanda, the administration engaged in fulfillment
नालंदा में शराब से हुई मौत के बाद खानापूर्ति करने में जुटा प्रशासन
बिहार नालंदा में शराब से हुई मौत के बाद खानापूर्ति करने में जुटा प्रशासन
हाईलाइट
  • बड़े अधिकारियों पर कारवाई क्यों नही होती?

डिजिटल डेस्क, पटना। शराबबंदी वाले राज्य बिहार में शराब ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में 12 लोगो की जान ले ली। इस घटना के बाद भी प्रशासन अन्य पुरानी घटनाओं की तरह अब सांप गुजरने के बाद लाठी पीटने की कहावत चरितार्थ करते या खानापूर्ति करती हुई नजर आ रही है।

नालंदा जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी गांव में पिछले 3 दिनों से 12 लोगो की मौत हो गई । प्रारंभिक दौर में प्रशासन ने इस मौत को बीमारी बताने की कोशिश की, लेकिन बाद में प्रशासन भी स्वीकार किया कि मौत का कारण शराब ही है।

ऐसे में राज्य में लागू शराबबंदी कानून को लेकर सवाल उठाए जाने लगे। वैसे, जब से शराबबंदी कानून लागू किया गया है, तब से इस कानून को लेकर प्रश्न उठते रहे हैं।

नालंदा में 12 लोगो की मौत के बाद अन्य घटनाओं की तरह संबंधित थाने के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया। पिछले साल अक्टूबर, नवम्बर में हुई कई जगहों पर शराब से मौत की घटनाओं के बाद भी थाना प्रभारी पर ही गाज गिरी थी।

जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव कहते हैं कि शराब से हो रही मौत की जिम्मेदारी केवल थाना प्रभारी पर ही डाल कर सरकार अपने कर्तव्यों की इति श्री समझती है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बड़े अधिकारियों पर कारवाई क्यों नही होती?

उन्होंने कहा कि शराब कहां नहीं बिक रही है। बिहार में शराबबंदी के अतिरिक्त भी कई बातें हैं। उन्होंने कहा शराबबंदी गरीबों, कमजोरों के लिए नासूर बन गई है।

उन्होंने कहा कि शराबंदी कानून में 6 लाख से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई, उसमें कितने शराब बेचने वाले, अधिकारी और नेता है? उन्होंने पूछा कि शराब मामले में जिम्मेदारी सिर्फ थानेदार की ही क्यों, अधिकारी, नेता व शराब बेचने वालों की क्यों नहीं है?

इस बीच, नालंदा में 12 लोगों की मौत के बाद अवैध शराब को लेकर छापेमारी की जा रही है। अब सवाल यह भी उठ रहा कि यह छापेमारी दिखावा नहीं तो यह पहले क्यों नहीं की गई।

इधर, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान कहते हैं कि शराबबंदी कानून में संशोधन आवश्यक है, लेकिन उससे पहले जनता से राय ले ली जाए। अगर जनता संशोधन चाहती है तो ही संशोधन हो और अगर जनता शराबबंदी कानून को नकार देती है तो अविलंब यह कानून खत्म किया जाए।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी मुजफ्फरपुर, गोपालगंज सहित कई जिलों में शराब से हुई मौत के मामले की गाज थाना प्रभारी पर गिरी थी।

 

(आईएएनएस)

Created On :   18 Jan 2022 12:00 PM IST

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