Chhindwara News: छोटे पड़ रहे जंगल, मजबूरी में आबादी की ओर पलायन कर रहे जंगल के बादशाह

छोटे पड़ रहे जंगल, मजबूरी में आबादी की ओर पलायन कर रहे जंगल के बादशाह
  • जंगल के बादशाहों के लिए जंगल छोटे
  • शाम के बाद कफ्र्यू का नजारा
  • ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए रतजगा

Chhindwara News: जिस प्रकार मानव जनसंख्या दिनों दिन बढ़ रही है, आबादी के घनत्व के साथ जंगलों का दायरा कम होते जा रहा है। परिणाम जंगली जानवरों को अपने नए घर, नए क्षेत्र भी तलाश करनी पड़ रहे है। वे अब शहर की ओर रुख कर रहे हैं। हाल ही में छिंदवाड़ा शहर, चौरई अंचल और सौंसर में कन्हान के आसपास के गांव में बाघ और तेंदुए की आने की घटनाएं बढ़ गई है। पालतू जानवर इनके शिकार हो रहे हैं। वन विभाग भी पिंजरे रखकर इन्हें पकडक़र वापस जंगल में छोडने में जुटा हुआ है।

ऐसे है जिले के हाल

छिंदवाड़ा में परतला, पोआमा, काराबोह नगर निगम क्षेत्र में तेंदुए की दस्तक से रहवासी भयभीत है। शाम के बाद कफ्र्यू का नजारा होता है। घरों के दरवाजे बंद कर रहवासी घरों में कैद हो जाते हैं। यही हाल चौरई के ग्रामीण हल्कों का है जहां शेर की दस्तक हो रही है। गायों पर हमले के मामले सामने आ चुके हैं। क्षेत्र में सांख, जटामा, कुंभपानी और बफर जोन से लगे ग्रामीण अंचलों में ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए रतजगा हो रहा है। वे रात में खेतों मेें सिंचाई करने नहीं जा पा रहे हैं। जंगली जानवर जंगल छोडकर क्यों शहरी आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं इसका जवाब अभी भी स्पष्ट रूप से वनाधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। वे कहते हैं कि जंगल में छोटे जानवर शिकार के लिए भरपूर मात्रा में हैं। पानी भी पर्याप्त उपलब्ध है। इन हालातों में भोजन और पानी के लिए वन्य प्राणियों का शिकार की ओर पलायन नहीं हो सकता। ठंडी में धूप सेंकने जानवर सुरक्षित जगह की तलाश करता है। इनके लिए आबादी क्षेत्र सुरक्षित जगह नहीं है जंगलों में पर्याप्त जगह है वे इस कारण आबादी क्षेत्र में नहीं जा सकते।

नई टेरेटरी की तलाश एक कारण- डॉ श्रीवास्तव

जंगल से जानवर आबादी क्षेत्र में आ रहे संदर्भ में वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ एपी श्रीवास्तव से भास्कर ने चर्चा कीए , वे कहते हैं कि जंगल छोटे पडऩे लगे हैं। पेंच क्षेत्र और छिंदवाड़ा में अन्य जंगल क्षेत्र में शेर और तेंदुओं की संख्या बढऩे से वे नई टेरेटरी तलाश रहे हैं। गौरतलब है कि पेंच क्षेत्र में 123 बाघ हैं। उनमें अपसी संघर्ष बढ़ गया है इसके कारण वे नए क्षेत्र की तलाश में भटकते हुए आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं।

पिछले कुछ सालों में वन्यप्राणियों के मूवमेंट और शिकार

वन्यप्राणी वर्ष २०२१-२२ २०२२-२३

जनघायल १५ १४

अन्य वन्य्रपाणी से जनहानि ०१ ००

अन्य वन्यप्राणी से जनघायल ०६ १४

बाघ द्वारा पशुहानि ८१ १४५

तेंदुए द्वारा पशुहानि ३१५ ४४१

अन्यवन्य्रपाणी द्वारा पशुहानि ३१ ६०

डीएफओ ब्रिजेन्द्र श्रीवास्तव से सीधी बात

सवाल: पिछले कुछ सालों में चौरई क्षेत्र में बाघ का मूवमेंट बढ़ा है, साथ ही टेरेटरी बना ली है।

जवाब- पूर्व वनमंडल के चौरई क्षेत्र पेंच पार्क से लगा हुआ है। हमारे दो कम्पार्टमेंट १३७४ और १३७५ पेंच पार्क से लगे हुए है। ऐसे में बाघ और वन्यप्राणियों का यहां मूवमेंट बना रहता है। चौरई के पेंच पार्क से लगे इन क्षेत्रों में बाघ का लोकेशन रहता है।

सवाल: क्या वजह है कि चौरई में बाघ, पोआमा में तेंदुआ सहित साल भर वन्यप्राणियों का मूवमेंट रहता है।

जवाब- नवबंर दिसंबर माह में शीत ऋतु के दौरान वाइल्ड लाइफ का मूवमेंट शहर की ओर बढ़ते जाता है। पिछले कुछ दिनों में ऐसे मामले सामने आए है। इन दिनों में हमारा स्टॉफ सतर्क रहता है और गश्ती बढ़ा दी जाती है। बाघ से जयादा तेंदुआ का मूवमेंट ज्यादा होते है।

सवाल: शीतऋतु के अलावा भी अन्य दिनों में भी बाघ का मूवमेंट आम हो गया है।

जवाब: पेंच पार्क वाइल्ड लाइफ सेफ रहते है। बाघों की संख्या बढ़ी है ऐसे में नई टेरेटरी की तलाश में अक्सर बाघ का मूवमेंट होता है।

ग्रामीणों का कहना, बदल गई जीवन शैली

- बाघ के कारण किसानों को खेती करना मुश्किल हो गया है। बाघ का लगातार इस क्षेत्र में मौजूदगी बनी रहती है। वन अमले द्वारा किसानों को उचित मुआवजा भी नहीं दिया जाता है।

गुंजन राज, ग्रामीण, सांख

- क्षेत्र में १२ महिने बाघों की मौजूदगी रहती हैं। पेंच पार्क से लगे होने से साल दर साल बाघों की संख्या यहां बढ़ रही है। किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। मवेशियों को बाहर भी नहीं बांध सकते।

- राजकुमार रघुवंशी, ग्रामीण, ग्रेटिया

Created On :   25 Nov 2024 11:20 AM IST

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