Satna News: सीएएफ कैम्प में जवान ने साथियों पर की फायरिंग, मैहर के लाल समेत 2 की मौत, खाने में मिर्च नहीं मिलने पर किया मौत का तांड़व
- छत्तीसगढ़ के बलरामपुर स्थित सीएएफ कैम्प में हुई अंधाधुंध फायरिंग
- भोजन के दौरान एक जवान ने राइफल से साथियों को गोली मारी
- मैहर जिले के पोंड़ी गांव का सपूत शहीद
Satna News: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर स्थित सीएएफ कैम्प में भोजन अवकाश के दौरान एक जवान ने राइफल से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिसमें मैहर जिले के पोंड़ी गांव के सपूत समेत दो जवान शहीद हो गए, वहीं दो अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। यह खबर पोंडी पहुंचते ही परिजन गम में डूब गए तो वहीं गांव में मातम पसर गया।
क्या है घटनाक्रम?
हासिल जानकारी के मुताबिक बुधवार दोपहर को लगभग एक बजे बलरामपुर जिले के सामरी थाना अंतर्गत भूताही में स्थित सीएएफ की 11वीं बटालियन के कैम्प में सभी जवान खाना खा रहे थे, तभी मिर्च नहीं मिलने पर अजय सिदार नामक जवान की खाना परोस रहे सहकर्मी रूपेश पटेल से बहस हो गई, जिसके पक्ष में अम्बुज शुक्ला भी खड़ा हो गया।
वाद-विवाद इतना बढ़ा कि आरोपी अजय खाना छोडक़र बैरक में गया और किसी जवान की इंसास राइफल लाकर रूपेश को निशाना बनाते हुए अंधाधुंध फायरिंग करने लगा। कई गोलियां लगने से जवान ने मौके पर ही दम तोड़ दिया तो वहीं पैर में बुलेट धंसने से अम्बुज तो कमर के पास गोली लगने से संदीप पांडेय व राहुल बघेल गंभीर रूप से घायल हो गए।
तीनों को आनन-फानन नजदीकी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां संदीप को भी मृत घोषित कर दिया। एक्सरे में आंतों के पास गोली फंसने की बात सामने आई। बताया गया है कि इस घटना से कुछ दिन पहले भी अजय ने एक साथी पर बंदूक तान दिया था, जिसकी शिकायत मिलने पर उसकी राइफल जमा करा ली गई थी। फायरिंग के दौरान राहुल बघेल ने ही अजय पर काबू पाया, वरना कई और जानें जा सकती थीं।
18 साल पहले सीएएफ में भर्ती हुआ था पोंड़ी का रूपेश
कैम्प के अंदर हुए गोलीकांड में जान गंवाने वाले छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के जवान रूपेश पटेल वर्ष 2006 में अर्धसैनिक बल में भर्ती हुए थे। परिवार में पिता डॉ. रामकृपाल पटेल हैं, जो कि उचेहरा के कोरवारा गांव में प्राइवेट क्लीनिक चलाते हैं, जबकि मां शीला बाई पटेल हाउस वाइफ हैं, इनके अलावा पत्नी सुलोचना पटेल हैं, जिनसे वर्ष 2008 में रूपेश का विवाह हुआ था। दोनों के दो बच्चे हैं, जिनमें 11 साल की पुत्री यासना और 8 साल का बेटा यश, मां के साथ रहते थे। घटना की सूचना मिलते ही परिवार के लोग छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो गए हैं। जवान का पार्थिव शरीर गुरुवार को गृहग्राम पहुंचने की संभावना है।
21 अगस्त को ड्यूटी पर लौटा था जवान
रिश्तेदारों से संपर्क करने पर ज्ञात हुआ कि रूपेश आखिरी बार 2 अगस्त को छुट्टी पर गांव आए थे। 19 दिन तक परिवार के साथ रहने के बाद वे 21 अगस्त को ड्यूटी पर भूताही कैम्प लौट गए थे। यह स्थान छत्तीसगढ़ और झारखंड के बार्डर पर स्थित है, जहां एक साल पहले ही कैम्प लगाया गया था।
Created On :   19 Sept 2024 12:08 AM IST