ईयर एंडर 2023: मोहब्बत की दुकान सजा कर जीता दिल, चुनावों में मिली करारी हार, राहुल गांधी के नहीं बदले तेवर, नए साल में क्या होगा नया कलेवर?

मोहब्बत की दुकान सजा कर जीता दिल, चुनावों में मिली करारी हार, राहुल गांधी के नहीं बदले तेवर, नए साल में क्या होगा नया कलेवर?
  • साल 2023 में राहुल गांधी की हुई संसद सदस्यता रद्द
  • राहुल गांधी ने साल के शुरुआत में भारत जोड़ो यात्रा किया समापन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए साल 2023 काफी चुनौतीपूर्ण भरा रहा। इस साल के पहले महीने में राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा खत्म की। साथ ही, इसी साल राहुल को एक बड़ा झटका भी लगा, जब उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। इसके अलावा राहुल ने अलग-अलग जमीनी लोगों से मिलकर अपनी एक अलग छवि बनाने की प्रयास किया। मुद्दा अडाणई से जुड़ा हो या फिर संसद की सुरक्षा का हो, राहुल गांधी के तेवर बेहद अग्रेसिव नजर आ रहे हैं। इसका उन्हें फायदा हो रहा है या नुकसान। क्योंकि, उन्हें हिंदी बेल्ट में अपने राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी हार का भी सामना करना पड़ा। अब लोकसभा चुनाव वाले नए साल में राहुल गांधी के यही तेवर बरकरार रहते हैं या कुछ नया फ्लेवर देखने को मिलता ये देखना भी दिलचस्प होगा। फिलहाल आइए जानते हैं देश की सबसे पुरानी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे के लिए कैसा रहा यह साल।

साल की शुरुआत

राहुल गांधी ने इस साल की शुरुआत साल 2022 के सितंबर में अपनी भारत जोड़ो यात्रा से की। 30 जनवरी को उन्होंने जम्मू कश्मीर में इसका समापन किया। यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि एक मैच्योर नेता के रूप में उभर कर सामने आई। यात्रा के दौरान राहुल गांधी देश की जनता का विश्वास भी जीतने में काफी हद तक कामयाब भी रहे। यात्रा से पहले उनकी छवि एक शहरी नेता के तौर पर थी, वहीं यात्रा के बाद राहुल की छवि जमीनी नेताओं के तौर पर देखने को मिली। यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने स्थानीय लोगों से मुलाकात की, उनके साथ चर्चा की। उनसे जमीनी मुद्दों के बारे में जाना। जिन्हें बाद में गांधी ने संसद में उठाया। यात्रा के बाद उनके भाषणों में स्थानीय मुद्दों की झलक सार्वजनिक मंचों पर साफ तौर से दिखाई देने लगी।

अग्नि परीक्षा

इस साल देश के कुल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। साल के शुरुआती महीने फरवरी और मार्च में मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें त्रिपुरा में बीजेपी ने बेहतरीन जीत हासिल कर अपनी सरकार बनाई। साथ ही, बीजेपी ने नागालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीडीपी) के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई। इसके अलावा मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी ने अपनी सरकार बनाई। कांग्रेस पूर्वोत्तर के इन तीनों राज्यों में चुनाव हार गई।

इसके बाद मई महीने में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस ने यहां जबरदस्त वापसी करते हुए बीजेपी को दक्षिण भारत से खदेड़ कर बाहर का रास्ता दिखा दिया। यहां राहुल गांधी ने अपनी राजनीतिक अनुभवों का प्रयोग किया। उन्होंने राज्य के स्थानीय नेताओं को आगे किया और खुद प्रचार-प्रसार में लगे रहे। कर्नाटक के चुनाव में राहुल गांधी ने न केवल अपनी यात्रा के दौरान लोगों की सुनी हुई समस्याओं को चुनावी मुद्दा बनाया बल्कि, उन्होंने इसे बीजेपी सरकार से जोड़ दिया। चुनाव के दौरान वे जनता का विश्वास जीतने में सफल रहे। राज्य में उनकी सरकार बनते ही उन्होंने उन सारे वादों पर काम किया।

जब गई संसद सदस्यता

मोदी सरनेम मामले में 23 मार्च को सूरत सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। सजा मिलने के अगले दिन राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। जिसके बाद 27 मार्च को उन्हें सदन द्वारा मिला सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया। नोटिस मिलने के बाद राहुल ने लोकसभा सेक्रेटरी को एक भावुकता से भरा लेटर लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि 12 तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले से उनकी बहुत सारी यादें जुड़ी हुई हैं। उनका यहां पर बहुत अच्छा समय बीता है। लेकिन आपके द्वारा दिए गए नोटिस का मैं पालन करूंगा। बता दें कि, राहुल गांधी को यह बंगला साल 2005 में अलॉट किया गया था। हालांकि, उनके द्वारा लिखे गए इस लेटर का कोई असर नहीं दिखा और उन्होंने 22 अप्रैल को सरकारी बंगला खाली कर दिया। वे बीते 19 सालों से इस घर में रह रहे हैं।

मोदी सरनेम पर छिड़ी जंग करीब पांच साल पुरानी है। राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि, "सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?" कांग्रेस नेता के इसी बयान पर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस ठोक दिया था। इस सजा से छुटकारा पाने के लिए राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट के साथ गुजरात हाईकोर्ट का रुख भी किया। लेकिन उन्हें कहीं से राहत नहीं मिली। इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिस पर 4 जुलाई को सुनवाई हुई और उन्हें राहत मिली। 7 अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर उनकी सदस्यता बहाल कर दी। इसके बाद उन्हें 8 अगस्त को दोबारा उनका सरकारी बंगला आवंटित किया गया। घर दोबारा मिलने पर राहुल गांधी ने मीडिया के सवालों का प्यारा-सा जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'मेरा घर पूरा भारत है।'

साल के अंत में राहुल की हुई अग्निपरीक्षा

राहुल गांधी को अपने राजनीतिक करियर में सबसे बड़ी हार का सामना नवंबर माह में करना पड़ा। इस दौरान देश के पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में विधानसभा चुनाव समाप्त हुए। जिसमें कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा। कांग्रेस न केवल छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपनी सरकार रिपीट करने में विफल रही बल्कि, मध्य प्रदेश में एंटी इनकम्बेंसी को भी भुनाने में भी नाकाम रही। इसके अलावा पार्टी मिजोरम में भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। हालांकि, कांग्रेस ने तेलंगाना में शानदार जीत हासिल की। इन सभी राज्यों के चुनाव राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ा गया। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि राहुल गांधी ने इन सभी राज्यों के चुनाव में स्थानीय मुद्दों को बहुत कम टच किया। जिसके चलते भी राहुल यह चुनाव हारे। अडाणी और जातीय जनगणना के मुद्दे पूरी तरह से जनता को टच नहीं कर पाए। वहीं, तेलंगाना में राहुल गांधी ने स्थानीय मुद्दों के साथ चुनाव लड़ा था। जिसके चलते वहां उन्हें शानदार जीत मिली।

राहुल गांधी के लिए इस साल अच्छी बात यह रही कि वे कर्नाटक और तेलंगाना में अपने प्रतिद्वंदी को हराने में सफल रहे। जहां कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान को खोया तो वहीं, उन्होंने दो नए राज्य (कर्नाटक और तेलंगाना) को जीता। राहुल के लिए एक खराब चीज यह भी रही कि उन्होंने इस साल हिंदी राज्य में अपना जनाधार और सरकार दोनों खो दिए। राहुल गांधी ने भले ही बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान को बड़ा झटका दिया और दक्षिण भारत से बीजेपी को खदेड़ कर बाहर का रास्ता दिखा दिया। लेकिन, बीजेपी से सीधी फाइट करने में कांग्रेस तीनों राज्यों (एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में टिक नहीं पाई।

राहुल को यूट्यूब पर मिला जनाधार

देश के मेनस्ट्रीम मीडिया में भले ही राहुल गांधी को अभी जगह नहीं मिल रही हो, लेकिन उन्होंने इस साल इसका भी विकल्प निकाल लिया है। इस साल कांग्रेस नेता को जनता के सामने अपनी बात रखने के लिए एक अच्छा माध्यम 'हाथ' लगा है। राहुल गांधी अब यूट्यूब के जरिए अपनी बात जनता तक पहुंचा रहे हैं। जिसका फायदा उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में मिल सकता है। वे स्थानीय लोगों से मिलते हैं और उनकी बात सरकार और देश की जनता तक यूट्यूब वीडियो के जरिए पहुंचाते हैं। जिससे एक बड़ा जनाधार उनके साथ जुड़ता जा रहा है। राहुल गांधी इस साल अपने वीडियो के माध्यम से लोगों के सामने कारपेंटर, बाइक मैकेनिक, ट्रक ड्राइवर, किसान की समस्या के बारे में बात की। उन्होंने इन सभी लोगों की जमीनी हकीकत दुनिया के सामने लाने का भी काम किया। साथ ही, उन्होंने अपने इन सभी वीडियो के जरिए मीडिया को आईना दिखाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अक्टूबर माह में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का इंटरव्यू लिया। जिसमें सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले और जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

इंडिया गठबंधन में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

राहुल गांधी 2024 में होने वाले आम चुनाव के लिए इसी साल सभी विपक्षी नेताओं को एक साथ लाने में कामयाब रहे। उन्होंने यूपीए गठबंधन का नाम बदलकर इंडिया गठबंधन रखने का सुझाव दिया। जिसे सभी विपक्षी नेताओं ने स्वीकार किया। इस दौरान बीजेपी नेता इंडिया गठबंधन से परेशान दिखे। बीजेपी नेता गठबंधन का नाम इंडिया रखे जाने का विरोध किया। बीजेपी नेताओं ने कहा कि ये अंग्रेजी नाम है। लेकिन बीजेपी के नेता इसमें खुद फंसते चले गए। क्योंकि, उनकी बहुत सारी योजनाओं का नाम (स्टार्ट अप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया) इंडिया के नाम पर था। इसलिए बीजेपी नेता इसका विरोध नहीं कर पाए। इसके अलावा उनकी पार्टी के नाम मे भी भारतीय लगा हुआ है। अपनी इस रणनीति के चलते इस साल पहली बार राहुल गांधी ने बीजेपी नेताओं को बैकफुट पर ला दिया। माना जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन यदि एकता के साथ चुनाव लड़ते हैं तो वे बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं।

Created On :   21 Dec 2023 4:55 PM IST

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