क्या डीके शिवकुमार होंगे कांग्रेस के अगले सचिन पायलट? जानिए वो समानताएं जो इस खतरे की तरफ कर रही हैं इशारा!
- सचिन पायलट और डीके शिवकुमार में समानता?
- सिद्धारमैया होंगे कर्नाटक के नए सीएम
- डी.के. को मिला डिप्टी सीएम का पद
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के पांचवे दिन बाद कांग्रेस पार्टी ने सीएम और डिप्टी सीएम के नाम घोषित कर दिए हैं। आज यानी 18 मई को कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने मीडिया के सामने आकर ये सूचना दी कि कर्नाटक की कमान वरिष्ठ नेता और प्रदेश के एक बार के सीएम रह चुके सिद्धारमैया को सौंपी जाएगी। जबकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डी.के. शिवकुमार को डीप्टी सीएम बनाया जाएगा। बता दें कि, शिवकुमार को सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था क्योंकि पिछले यानी साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम बनाया था। जिसकी वजह से डी.के ये उम्मीद लगाए हुए थे कि इस बार उनकी बारी है।
जानकारी के मुताबिक, डी.के. शिवकुमार डिप्टी सीएम पद को लेकर काफी आनाकानी कर रहे थे उनका कहना था कि इस बार सीएम बनने की बारी मेरी है क्योंकि पिछली बार सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनकर सत्ता का सुख भोग चुके हैं। अब इस पूरे मामले पर राजनीतिक गलियारों में एक सुगबुगाहट होने लगी है कि कहीं इस पूरे मामले में राजस्थान कांग्रेस जैसी स्थिति तो बनने नहीं जा रही है। यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चुनाव से पहले सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार में काफी खींचतान मची थी। दोनों नेता एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करने से परहेज भी नहीं कर रहे थे। तो अब सवाल उठता है कि क्या डी.के. और सिद्धारमैया के बीच पायलट-गहलोत की तरह ही गतिरोध देखने को मिलेंगे। दरअसल, इस बात का संदेह कांग्रेस हाईकमान द्वारा लिए गए फैसले को देखते हुए हो रहा है क्योंकि कुछ ऐसा ही फैसला कांग्रेस ने साल 2018 के राजस्थान चुनाव के नतीजों के बाद लिया था। जिसके बाद से वहां की स्थिति सबको भली भांति पता है। तो आइए बताते हैं वो तीन प्वाइंट्स कौन हैं जो राजस्थान की तरह कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी दोहराती हुई नजर आ रही है।
कर्नाटक चला राजस्थान की राह पर?
दरअसल, डी.के. शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाने के एलान से ही सचिन पायलट की याद सबको आने लगी है। अब ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि कहीं सचिन की तरह डी.के. भी अपनी सरकार के खिलाफ बगावती सुर अख्तियार ना करने लगे। बीते दिनों सीएम पद को लेकर चल रही रस्साकशी में शिवकुमार ने सिद्धारमैया के कार्यकाल को 'कुशासन' करारा दिया था। ठीक वैसे ही जैसे पायलट अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहते हैं।
सचिन पायलट और डी.के. शिवकुमार में कुछ समानताएं भी देखी जा रही है। साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और 100 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत हासिल किया। लेकिन सीएम बनाने की बात जब आई तो आलाकमान ने अशोक गहलोत को सीएम बना दिया और सचिन पायलट को कुछ महीने इंतजार करने को कहा गया। इस पूरे मामले पर कई दिनों तक राहुल, सोनिया और प्रियंका गांधी ने पायलट से बातचीत की। जिसके बाद सचिन पायलट मान भी गए और शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष के साथ राजस्थान का डिप्टी सीएम बना दिया था।
हालांकि, सचिन पायलट को जो आश्वासन हाई कमान से मिले थे वो साल 2020 के मध्य में आते-आते टूट गए। जिसके बाद सचिन पायलट ने अपने समर्थकों के साथ गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी। पायलट ने सरकार गिराने की पूरी कोशिश की लेकिन विफल रहे। तब से आज तक गहलोत और पायलट में कभी भी सामान्य स्थिति नहीं बन पाई।
पायलट और डी.के. शिवकुमार में समानता
सचिन पायलट राजस्थान की सियासत में बड़ा नाम हैं। उनका जनाधार प्रदेश के जाट समुदायों में जबरदस्त तरीके से है। सियासत के जानकार कहते हैं कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत सचिन पायलट के जाट समर्थकों की वजह से मिली नहीं तो स्थिति आज कुछ और ही होती।
डी.के. शिवकुमार कर्नाटक विधानसभा चुनाव के सबसे बड़े रणनीतिकारों में से एक रहे। जिनके नेतृत्व में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। जिन्होंने कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में लाने का काम किया। बता दें कि, सचिन पायलट की तरह ही डी.के. की भी अपने वोक्कालिगा समुदायों में जबरदस्त पकड़ है। शिवकुमार खुद वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं जो प्रदेश की जीत एवं हार का पूरा दमखम रखते हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो, वोक्कालिगा समुदाय कर्नाटक में 11 फीसदी है जो शिवकुमार को पूरा सपोर्ट करते हैं। कहा जाता है कि वोक्कालिगा समुदाय की काट प्रदेश की किसी राजनीतिक दल के पास नहीं है। जिसकी वजह से शिवकुमार को हमेशा से इनका साथ मिलता रहा है।
सचिन पायलट | डीके शिवकुमार |
गहलोत के नाम पर राजी नहीं | सिद्धारमैया के नाम पर राजी नहीं |
डिप्टी सीएम बनने का ऑफर | डिप्टी सीएम बनने का ऑफर |
प्रदेशाध्यक्ष भी बने रहे | प्रदेक्षाध्यक्ष बने रहेंगे |
जाट समुदाय में पैठ | वोक्कालिगा समुदाय में मजबूत पकड़ |
सचिन पायलट और डी.के शिवकुमार का अपना गुट
सचिन पायलट को राजस्थान में अपने विधायकों का समर्थन है। वहीं डी.के. शिवकुमार को भी कर्नाटक में अपने विधायकों का समर्थन हासिल है। साल 2020 में राजस्थान कांग्रेस में सियासी उठापटक में सचिन ने दावा किया था कि उन्हें पार्टी के आधे से ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है। हालांकि बाद में ये आंकड़ा कम हो गया था। फिलहाल, पायलट को 20 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है जो किसी भी स्थिति में पायलट के साथ खड़े नजर आते हैं।
डी.के. शिवकुमार का भी पार्टी में जबरदस्त दबदबा है। कर्नाटक की राजनीति और कांग्रेस के हनुमान कहे जाने वाले डी.के. को 135 विधायकों में से करीब 50 विधायकों का समर्थन हासिल है। इतनी भारी संख्या में विधायकों का समर्थन, आने वाले दिनों में कर्नाटक की राजनीति में तूफान मचाने के लिए काफी है। खबरें ये भी थी कि डी.के. समर्थन वाले विधायक डिप्टी सीएम को लेकर काफी नाराज हैं और कहा है कि सिद्धारमैया को अब हाई कमान कितनी बार मौका देगा। विधायकों के इस सवाल पर डी.के. ने कहा है कि दो सालों तक 'वेट एंड वॉच' की मुद्रा बनाकर रखे, हमें भी वो सबकुछ मिलेगा जिसका हम हकदार हैं।
डिप्टी सीएम रहकर सचिन पायलट ने संभाली थी प्रदेशाध्याक्ष की कमान
दरअसल, सचिन और डी.के. में एक और समानता दिखाई दे रही है। साल 2018 के चुनावी नतीजे आने के बाद पायलट को डिप्टी सीएम के साथ प्रदेशाध्यक्ष भी बनाया गया था। लेकिन 2020 में बगावत करने के बाद दोनों पदों से उन्हें हटा दिया गया था। अब डी.के. शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाने एवं कर्नाटक का प्रदेशाध्याक्ष बने रहने की घोषणा हाईकमान ने की है। सचिन पायलट और डी.के. शिवकुमार में ये समानताएं साफ तौर पर देखी जा सकती हैं। अब आने वाले दिनों में पता चलेगा कि सिद्धारमैया और डी.के. में गहलोत-पायलट की तरह ही खींचतान मचती है या सबकी सहमति से पांच साल सरकार चलाने में सफल रहते हैं ये सब देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा।
Created On :   18 May 2023 11:53 AM GMT