दिल्ली में किसकी 'सरकार'? बड़े ट्विस्ट में उलझी कांग्रेस, स्टैंड पर रहेगी कायम या मानेगी केजरीवाल की फरियाद

दिल्ली में किसकी सरकार? बड़े ट्विस्ट में उलझी कांग्रेस, स्टैंड पर रहेगी कायम या मानेगी केजरीवाल की फरियाद
  • केजरीवाल से राहुल गांधी मिलेंगे?
  • कांग्रेस के नेताओं में बनी दो राय
  • 'आप' बनाम केंद्र सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में सियासत का पारा हाई है। केंद्र सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार कई दिनों से एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को ट्रांसफर- पोस्टिंग का अधिकार दिया था लेकिन कुछ ही दिनों बाद केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर शीर्ष अदालत के फैसले को पलट दिया था। जिसके बाद से ही सीएम अरविंद केजरीवाल केंद्र की सरकार पर हमलावर हैं और विपक्ष के तमाम राजनीतिक दलों से अपने समर्थन में वोट मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं। केजरीवाल ने आज यानी 26 मई को ट्विटर पर एक जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा केंद्र के अध्यादेश पर आज मैंने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने का वक्त मांगा है।

बता दें कि, पिछले एक हफ्ते से अरविंद केजरीवाल देश के तमाम विपक्षी दलों से मिल रहे हैं। उन्होंने हाल ही में केंद्र के अध्यादेश पर कहा था कि, मैं केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ हर विपक्षी पार्टियां से मिलूंगा ताकि वो राज्यसभा में लाए गए बिल को अपना समर्थन न दें। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि, अगर तमाम विपक्षी दल हमारे समर्थन में आते हैं तो केंद्र सरकार की मंशा पूरी नहीं होगी। इसी को देखते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलने वाले हैं। हालांकि, कांग्रेस पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी किसी तरह का कोई बयान नहीं आया है कि दिल्ली के मुखिया पार्टी के नेताओं से मिलने वाले हैं।

केजरीवाल ने क्या कहा?

अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने का समय मांगा है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'भाजपा सरकार द्वारा पारित अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक अध्यादेश के खिलाफ संसद में कांग्रेस का समर्थन लेने, संघीय ढांचे और मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर सामान्य हमले पर चर्चा करने के लिए आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष श्री खड़गे जी और श्री राहुल गांधी जी से मिलने का समय मांगा है।'

आपको बता दें कि, केंद्र सरकार और दिल्ली की सरकार में कई महीनों से ठनी हुई है। केजरीवाल की सरकार पहले ही शराब घोटाले और बंगले पर करोड़ों रूपए खर्च करने के मामले में सत्तारूढ़ बीजेपी के निशाने पर है। अब ये नया मामला, जो केजरीवाल को टेंशन में डाला हुआ है।

कांग्रेस का क्या होगा रूख?

इन सब के बीच केजरीवाल का कांग्रेस से मिलना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुई है। दरअसल, इसका मुख्य कारण केजरीवाल का कांग्रेस पर भ्रष्टाचार को लेकर किया गया हमला है। सियासत के जानकारों का कहना है कि, कांग्रेस पार्टी केजरीवाल का साथ देगी या इस पूरे मामले पर चुप रहेगी यह देखना बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में कांग्रेस को बेदखल करके आए थे। जिस अन्ना हजारे आंदोलन से 'आप' दिल्ली की सरकार में आई अब वो कांग्रेस का साथ मांग रही है। इस पर कांग्रेस का क्या स्टैंड होगा ये देखने वाली बात होगी।

केजरीवाल की गाड़ी फंसी

कांग्रेस पार्टी में भी अंदर ही अंदर मंथन होना शुरू हो गया है। सूत्रों की मानें तो कई नेता केजरीवाल के साथ बैठक करने के लिए तैयार हैं लेकिन कुछ नेता इसके विरोध में हैं। समर्थन करने वाले नेताओं का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को 'आप' फायदा पहुंचा सकती है। जबकि विरोध कर रहे नेताओं का कहना है कि, आगामी चुनाव में अभी एक साल का टाइम है लेकिन पिछले दिनों जो राज्यों में चुनाव हुए उसमें कांग्रेस को 'आप' ने बड़ा ही नुकसान पहुंचाया है इसलिए बात नहीं होनी चाहिए।

विरोध कर रहे नेताओं का कहना है कि पंजाब, गुजरात, गोवा और दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को कमजोर करने का काम किया है। साथ ही पंजाब में तो उसने पार्टी से सरकार ही छीन ली थी इसलिए सीएम केजरीवाल से बात नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी की ओर से सबसे ज्यादा विरोध अजय माकन कर रहे हैं। हाल ही में माकन ने कहा था कि, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पूर्व पीएम राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने के लिए प्रस्ताव पास किया, ऐसे नेता को समर्थन पार्टी कैसे देगी?

क्या है 'अध्यादेश'?

दरअसल, केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली देश की राजधानी है। जो सीधे राष्ट्रपति के अधीन आता है। ऐसे में दिल्ली की 'आप की सरकार' के बजाय अधिकारियों के फेरबदल का अधिकार राष्ट्रपति के अधीन ही रहेगा। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अब अधिाकारियों की नियुक्ति नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी यानी एनसीसीएसए के माध्यम से होगी।

सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में कहा गया है कि इस एनसीसीएसए के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री ही होंगे। लेकिन मुख्य सचिव व गृह सचिव भी इसके सदस्य होंगे। जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। अधिकारियों की नियुक्ति के विषय में एनसीसीएसए उपराज्यपाल को सूचना देगी। जिसके बाद उपराज्यपाल फैसला लेंगे। वहीं अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति में अगर कोई विवाद होता है तो अंतिम फैसला दिल्ली के एलजी का ही होगा।

Created On :   26 May 2023 2:46 PM IST

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