डीके शिवकुमार की जिद के बाद क्या 2-3 साल के फॉर्मूले पर चलेगी कांग्रेस सरकार! सिद्धारमैया की किस दलील से निकली फॉर्मूले की हवा?
- डीके शिवकुमार जिद पर अड़े
- आलाकमान मनाने की जुगत में जुटा
- किस फॉर्मूले से चलेगी सरकार!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद अब सिद्धारमैया सीएम पद की रेस जीतते नजर आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी आलाकमान ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। वहीं इस पद के दूसरे प्रबल दावेदार डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम का पद सौंपने का फैसला पार्टी द्वारा लिया गया है। हालांकि डीके शिवकुमार सीएम बनने की जिद पर अड़े हुए हैं जिससे अभी भी इस मामले में पेंच फंसा हुआ है। डीके शिवकुमार को मनाने के लिए पार्टी आलाकमान उनके साथ दिल्ली में बैठक भी कर रही है। लेकिन अभी तक कोई भी निर्णय नहीं हो पाया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कर्नाटक कांग्रेस में सियासी भूचाल को शांत करने के लिए पार्टी हाईकमान सिद्धारमैया द्वारा सुझाया गया 2-3 साल वाला फॉर्मूला ला सकती है। जिसके मुताबिक 2 साल के लिए सिद्धारमैया और 3 साल के लिए डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री पद संभाल सकते हैं।
हालांकि सिद्धारमैया के इस फॉर्मूले को डीके शिवकुमार ने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देकर खारिज कर दिया था। बता दें कि 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद सीएम पद के लिए टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल सीएम पद के प्रबल दावेदार थे। तब पार्टी ने अंदरूनी कलह रोकने के उद्देश्य से दोनों को ढाई-ढाई साल सीएम पद पर रहने का ऑफर दिया था और पहले ढाई साल के लिए भूपेश बघेल को सीएम बनाया था। लेकिन ढाई साल होने के बाद भूपेश बघेल ने अपना पद छोड़ने से इनकार कर दिया था।
हालांकि ऐसा कर्नाटक में होना संभव नहीं दिखता क्योंकि टीएस सिंहदेव के मुकाबले डीके शिवकुमार ज्यादा मजबूत नेता हैं। कैडर में उनकी पकड़ भी मजबूत है। भूपेश बघेल जैसे सीएम पद पर अड़े रहना सिद्धारमैया के लिए आसान नहीं होगा। अब देखने वाली बात होगी कि शिवकुमार सत्ता साझेदारी के इस फॉर्मूले को स्वीकार करते हैं या फिर 5 साल के लिए सीएम पद लेने की अपनी जिद पर अड़े रहते हैं।
इससे पहले इस मुद्दे को लेकर 14 मई की शाम को बेंगलुरू की एक होटल में बैठक भी हुई, जिसमें पार्टी के सभी 135 नवनिर्वाचित विधायकों ने हिस्सा लिया था। बैठक में कर्नाटक के नए सीएम का नाम तय करने के लिए विधायकों से वोटिंग कराई गई। सूत्रों के मुताबिक, सभी विधायकों ने अलग-अलग नामों पर अपनी मुहर लगाई। इन नामों में पूर्व सीएम सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार शामिल थे। इसी के साथ कुछ विधायकों ने इसका फैसला आलाकमान को सौंप दिया था, लेकिन इस दौरान यह तय नहीं हो पाया कि कर्नाटक की गद्दी पर आखिर कौन बैठेगा। जिसके बाद बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके मुताबिक विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार मल्लिकार्जुन खड़गे को दिया गया था।
सिद्धारमैया ने सुझाया था सत्ता साझेदारी का फॉर्मूला
सूत्रों के अनुसार, सीएम चेहरे के चुनाव के बीच इस पद के प्रबल दावेदारों में से एक पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने आलाकमान को सत्ता साझेदारी का फॉर्मूला सुझाया था। जिसके मुताबिक कर्नाटक सीएम का पद 2 और 3 साल के लिए उन्हें और डीके शिवकुमार को सौंपा जाए। उन्होंने कहा, 'पांच साल के कार्यकाल में से पहले दो साल का कार्यकाल मुझे और बाकी के 3 साल का कार्यकाल डीके शिवकुमार को सौंपा जाए।' उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देते हुए कहा, 'क्योंकि वह उम्रदराज हैं इसलिए उन्हें कम से कम 2024 के लोकसभा चुनाव तक सरकार चलाने का मौका दिया जाए। उसके बाद डीके शिवकुमार यह जिम्मेदारी संभाल लें।
Created On :   17 May 2023 2:12 PM IST