लोकसभा चुनाव 2024: 400 पार का नारा... क्षेत्रीय दलों का सहारा, समझिए बीजेपी की चुनावी रणनीति
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- बिहार में बीजेपी लगातार क्षेत्रीय दलों के साथ लड़ रही है चुनाव
- महाराष्ट्र में बीजेपी ने शिंदे गुट और अजित पवार का लिया साथ
- कर्नाटक में जेडीएस के साथ चुनाव लड़ रही है बीजेपी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव का आगाज हो गया है। सभी पार्टियों के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। चुनाव के इस माहौल में नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला भी जारी है। कई नेता इस बार के चुनाव में अकेले चुनौती दे रहे हैं। वहीं, कई गठबंधन के बल पर चुनावी मैदान में उतरे हैं। इस लोकसभा चुनाव में आठ क्षेत्रीय दल भी हैं जो अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन दलों ने देश भर में लगभग 188 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। अकेले चुनाव लड़ने वाले इन दलों में भारत राष्ट्र समिति और ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी शामिल हैं। बता दें कि, बीजेपी और कांग्रेस ऐसे छोटे-छोटे दलों को अपने साथ लाना चाहती है। बीजेपी अपने साथ रीजनल, सीजनल, ग्रास रूट तक के दलों को एनडीए में शामिल करवा रही है। क्योंकि, बीजेपी यह नहीं चाहती है कि किसी भी सीट पर वोटों का बिखराव हो।
गठबंधन में यह दल
2019 के लोकसभा चुनाव में 188 सीटों पर छोटी-छोटी पार्टियों ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, 51 सीट जीतने वाले 14 दल इस बार एनडीए का हिस्सा हैं। और 78 सीट जीतने वाले 16 दल इंडिया गठबंधन में शामिल हैं। इसके साथ ही 59 सीटें जीतने वाली 8 पार्टियां किसी भी गठबंधन में नहीं हैं।
मैदान में अकेले यह दल
अकेले मैदान में टक्कर देने वाली पार्टियों में से 4 दक्षिण भारत की हैं। इनमें वाईएसआर कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन, एआईएडीएमके (अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) हैं। जबकि, उत्तर भारत से बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी, एआईयूडीएफ और शिरोमणि अकाली दल किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।
400 पार, अहमियत बरकरार
2019 के लोकसभा चुनावों में एनडीए को भारी बहुमत मिला था। इसके साथ ही अगर बीते 6 चुनाव नतीजों का औसत निकालें तो अन्य दलों के 42 प्रतिशत सांसद जीते थे। बीजेपी ने इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए 400 पार सीटों का लक्ष्य रखा है। 400 सीटों को पार करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी को क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन की जरुरत पड़ सकती है। ऐसे में पिछले आंकड़ो के मुताबिक देखें तो आज भी क्षेत्रीय दलों की अहमियत बरकरार है।
Created On :   4 April 2024 6:57 PM IST