रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी यूपी में अखिलेश यादव से करेंगे दगा? दिल्ली की सियासत में सपा सुप्रीमो पर चर्चाएं तेज
- यूपी में टूट जाएगी सपा और रालोद का गठबंधन?
- अखिलेश विपक्ष की राह में बनेंगे रोड़ा?
- कांग्रेस के साथ दिखेंगे जयंत चौधरी
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा को टक्कर देने के लिए साथ में आए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। दोनों पार्टियों के बीच दूरियां बढ़ने की बात सामने आ रही हैं। कहा जा रहा है कि, यूपी निकाय चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन की वजह से दोनों पार्टियों में गतिरोध बना हुआ है। खबरें ऐसी भी हैं कि राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन तोड़ किसी तीसरे मोर्चे का रूख कर सकती है। लेकिन अभी तक दोनों पार्टियों की ओर से किसी तरह का कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट सामने नहीं आया है। लेकिन पार्टी में अंदर खाने में चर्चाओं का बाजार गरम है।
जानकारी के मुताबिक, सपा से नाता तोड़ते हुए रालोद प्रमुख जयंत चौधरी कांग्रेस के साथ जाने का मन बना रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रालोद के नेता सपा के अलावा दूसरे दलों की ओर भी देख रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, रालोद नेता इस पूरे मामले को बड़ी संजीदगी से ले रहे हैं। एक नेता ने बताया कि, बड़ी पार्टियां छोटे दलों का सम्मान नहीं करती जिसकी वजह से रिश्तों में खटास आती है। मीडिया से बातचीत में नेता ने इशारों-इशारों में बताने की कोशिश की है कि जयंत चौधरी कांग्रेस पार्टी से हाथ मिला सकती है ताकि भविष्य में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सके। खबरें ये भी हैं कि, रालोद के नेता और प्रवक्ता कांग्रेस पार्टी से संपर्क बनाए हुए हैं और सपा का विकल्प तलाशने में जुटे गए हैं अगर सारी चीजों पर बात बन जाती है तो जल्द ही इसका एलान हो सकता है।
कांग्रेस के साथ जाएंगे जयंत चौधरी?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जयंत चौधरी और कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में बातचीत हो चुकी है और लगभग-लगभग यूपी में इसके लिए सहमती बन गई है। खबरें हैं कि, कुछ बैठकों में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी मौजूद रहे हैं। बता दें कि, राजस्थान की सियासत में जयंत चौधरी की रालोद और कांग्रेस पार्टी पहले से ही गठबंधन में हैं जो दोनों पार्टियां भाजपा से साझा मुकाबला करती है।
विपक्षी एकता में रोड़ा बनेंगे अखिलेश?
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तमाम विपक्षी दल एकजुट होने लगे हैं। जिसकी कवायद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं। वहीं दिल्ली में विपक्ष को एकजुट करने की बात लंबे समय से चल रही है। इस एकजुटता में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का नाम भी जोर शोर से लिया जा रहा है क्योंकि विपक्ष को लगता है कि यूपी में भाजपा को हराने के लिए सपा से मजबूत दावेदार फिलहाल कोई नहीं है। लेकिन अखिलेश यादव अभी विपक्षी एकजुटता के मूड में नहीं हैं क्योंकि बीते शनिवार ( 20 मई ) को कर्नाटक में नई सरकार का गठन हुआ। जिसके लिए उन्हें न्योता मिला लेकिन अखिलेश यादव ने शपथ ग्रहण समारोह में न जाकर यह संदेश देनी की कोशिश की, अभी विपक्ष की एकता दूर है। जबकि यूपी में सपा के साथी रालोद मुखिया जयंत चौधरी शपथ समारोह में पहुंचे थे। जो कांग्रेस से गठबंधन को और हवा दे रहा है।
सपा और रालोद में कहां बिगड़ी बात?
दरअसल, मई महीने के शुरूआत में यूपी निकाय चुनाव हुए। जिसमें अखिलेश की सपा और जयंत की रालोद ने चुनाव लड़ा। जिसमें दोनों पार्टियों का काफी निराशाजनक प्रदर्शन रहा। सूत्रों के मुताबिक, रालोद, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से इसलिए चिढ़ी हुई है क्योंकि बिना साथी गठबंधन से चर्चा किए हुए मेरठ मेयर सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया जिस पर जयंत चौधरी नाराज थे। हालांकि, सपा को इस सीट से हाथ धोना पड़ा था। लेकिन दोनों पार्टियों में यहीं से टकराव की स्थिति पैदा हुई है और अब टूट की नौबत आ गई है।
Created On :   22 May 2023 4:07 PM IST