लोकसभा चुनाव 2024: NOTA ने इंदौर सीट पर तोड़ा रिकॉर्ड, जानिए नोटा को ज्यादा वोट मिले तो किसकी होगी जीत?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट सामने आने लगे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश के इंदौर लोकसभा सीट से हैरान कर देने वाले नतीजे सामने आए हैं। यहां लगभग 2 लाख लोगों ने नोटा (NOTA) का बटन दबाया है। नोटा एक ऐसा विकल्प है जिसे तब इस्तेमाल किया जाता है जब कोई भी प्रत्याशी आपकी पसंद का चुनावी मैदान में न खड़ा हो।
कांग्रेस प्रत्याशी ने बदली पार्टी
इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अक्षय बम को टिकट दिया था। इसके बाद अक्षय बम ने नामांकन वापसी के आखिरी दिन अपना नाम वापस ले लिया था। ऐसे में बीजेपी की ओर से उम्मीदवार शंकर लालवानी की जीत बढ़ गई। इसके बाद बड़ा उलटफेर तब देखने को मिला जब कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम अपनी पार्टी को धोखा देकर बीजेपी में शामिल हो गए। अक्षय बम के ऐसा करने के बाद कांग्रेस ने यहां पर भी प्रत्याशी को अपना समर्थन नहीं दिया। इसी के साथ कांग्रेस ने इंदौर की जनता से नोटा का विकल्प इस्तेमाल करने कहा। हालांकि, कुछ बीजेपी नेताओं को अक्षय बम का बीजेपी में आना पसंद नहीं आया। दोपहर 5 बजे तक नोटा को 2,18,674 वोट मिले।
नोटा क्या है?
जब किसी भी पार्टी को वोट न देना हो तो ‘नन ऑफ द अबव’ यानी (NOTA) का विकल्प इस्तेमाल किया जाता है। नन ऑफ द अबव का मतलब यह होता है कि जितने भी प्रत्याशियों के विकल्प ऊपर दिखाई दे रहे हैं, उनमें से एक भी प्रत्याशी पसंद ना हो। जब प्रत्याशी के पसंद का कोई भी उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए नहीं खड़ा होता तो नोटा का बटन दबाया जाता है। यह विकल्प मतदाताओं के पास मौजूद होता है।
भारत में नोटा कब आया
साल 1976 में अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य की सांता बारबरा काउंटी की म्यूनिसिपल इंफॉर्मेशन काउंसिल में लागू करने से हुई थी। भारत मतदाताओं के लिए नोटा का विकल्प उपलब्ध करवाने वाला 14 वां देश बना। चुनाव आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वोटर्स के लिए नोटा का विकल्प डाला था। नोटा की शुरुआत अमेरिका से हुई है। लेकिन रूस ने साल 2006 में इस विकल्प को हटा दिया।
NOTA का बीते दो लोकसभा चुनाव में हाल
2014 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में जितने भी वैध मत डाले गए थे, उनमें से 0.81 परसेंट नोटा के पक्ष में गए थे। इस चुनाव में कुल 3 लाख 91 हजार 771 वोट नोटा को मिले थे। नोटा ने साल 2019 में 3 लाख 40 हजार 987 जीते, जो कि कुल मतदान का 0.66 प्रतिशत था। 2019 में नोटा को सतना, रीवा, इंदौर, मुरैना और बालाघाट के संसदीय इलाकों से सबसे कम वोट मिले। 2014 में नोटा को सबसे कम मत मुरैना, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर और भिंड के इलाकों से मिला। इंदौर और मुरैना में 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल कम देखने को मिला था। हालांकि, इस बार इंदौर के लोगों ने नोटा को वोट देकर नया रिकॉर्ड बना दिया है।
देश में NOTA का रिकॉर्ड
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारत देश के वोटर्स ने कुल 65 लाख 22 हजार 772 वोट्स नोटा को दिए। सभी वैध वोट्स का यह 1.06 परसेंट था। बिहार में 8 लाख 16 हजार 950 वोट्स मतदाताओं ने नोटा को दिए। बिहार के लोग नोटा का विकल्प इस्तेमाल करने में सबसे आगे थे। बिहार की गोपालगंज सीट पर लोगों ने सबसे ज्यादा वोट (51 हजार 660 ) नोटा को दिया। वहीं, 2019 के चुनाव में दूसरा सबसे बड़ा रिकार्ड पश्चिम चंपारण ने बनाया था। तब यहां नोटा को कुल 45,609 वोट मिले।
क्या नोटा जीत सकता है?
अगर नोटा को बहुमत मिलता है तो ऐसी स्थिति में जीतेगा कौन? क्या नोटा को उम्मीदवार मान सकते हैं?
इंदौर सीट पर बड़ी संख्या में लोगों ने नोटा का बटन दबाया। जिससे कुछ सवाल उठ रहे हैं। जैसे कि क्या नोटा को ज्यादा वोट्स मिले तो किसे जीत मिलेगी? बता दें कानून के मुताबिक, ऐसा नहीं होता है। अगर नोटा के पास बहुमत आता है तो ऐसे में नोटा के बाद जिसके पास सबसे ज्यादा वोट होते हैं वह प्रत्याशी जीत जाता है।
Created On :   4 Jun 2024 6:23 PM IST