योगी का मठ से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर

Yogis journey from Math to Chief Ministers chair
योगी का मठ से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर
उत्तर प्रदेश योगी का मठ से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर
हाईलाइट
  • ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने योगी को सौंपी अपनी राजनीतिक विरासत

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में पहली बार किसी मुख्यमंत्री बने संन्यासी ने न सिर्फ अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया, बल्कि दोबारा गद्दी संभालने जा रहा है। एक संत के रूप में गोरक्षपीठ का दायित्व संभालने वाले योगी ने राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में एक योद्धा के रूप में उभरे तो वनटांगियों की सेवा और उनके हक दिलाकर एक संवेदनशीलता का परिचय दिया।

गोरखपुर की शहर विधानसभा क्षेत्र से वह तकरीबन एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं। वह गोरखपुर के लगातार पांच बार सांसद भी रहे हैं। वह 1998 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। 2017 में वह मुख्यमंत्री बने। 2022 का चुनाव योगी के चेहरे पर ही लड़ा गया। उन्होंने अपनी भूमिका का निर्वाहन किया। एक बार अपने को साबित किया। महज 22 साल की उम्र में ही नाथपंथ में दीक्षित होकर वह सन्यासी (योगी) बने। इस रूप में वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के उत्तराधिकारी बने। अवेद्यनाथ संत समाज और समाज में एक सर्वस्वीकार्य नाम था।

ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने अपने प्रिय शिष्य (योगी) को अपनी राजनीतिक विरासत भी सौंप दी। इस तरह 1998 में वह 26 साल की उम्र में से सबसे कम उम्र के सांसद (लोकसभा सदस्य) बने। इसके बाद तो योगी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से लगातार पांच बार चुने जाने का रिकार्ड भी योगी के ही नाम है। जब वे सांसद थे तभी देश की एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने अपने सर्वे में उनको देश के कुछ सबसे रसूखदार लोगों में से एक माना।

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972, पौढी गढवाल (उत्तराखंड) के पंचुर गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। बाल्यकाल से राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित योगी का जुड़ाव नब्बे के दशक में राम मंदिर आंदोलन से हो गया। राम मंदिर आंदोलन के दौरान ही वह इसके नायक गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आए। महंत जी के सानिध्य और उनसे प्राप्त नाथ पंथ के बारे में मिले ज्ञान ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक विज्ञान तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने सन्यास लेने का निर्णय कर लिया।

इसी क्रम में वह 1993 में गोरखनाथ मंदिर आ गए और नाथ पंथ की परंपरा के अनुरूप धर्म, अध्यात्म की तात्विक विवेचना और योग साधना में रम गए। उनकी साधना और अंतर्निहित प्रतिभा को देख महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी के रूप में दीक्षा प्रदान किया। गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी के रूप में उन्होंने पीठ की लोक कल्याण और सामाजिक समरसता के ध्येय को सदैव विस्तारित किया। महंत अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के उपरांत वह 14 सितंबर 2014 को गोरक्षपीठाधीश्वर (महंत) के रूप मे पदासीन हुए। इसी भूमिका के तदंतर वह इसी तिथि से अखिल भारतीय बारह भेष पंथ योगी सभा के अध्यक्ष भी हैं।

करीब तीस दशकों से मंदिर पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को राजनीतिक दायित्व भी गोरक्षपीठ से विरासत में मिला है। उनके दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ गोरखपुर संसदीय क्षेत्र का एक बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद और मानीराम विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे हैं। 1996 में गोरखपुर लोकसभा से चुनाव जीतने के बाद ही महंत अवेद्यनाथ ने घोषणा कर दी थी कि उनकी राजनीति का उत्तराधिकार भी योगी ही संभालेंगे। इसके बाद योगी 1998 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल कर बारहवीं लोकसभा में उस वक्त सबसे कम उम्र (26 वर्ष) के सांसद बने। तब से 2014 तक लगातार पांच बार संसदीय चुनाव में जीत हासिल करने वाले वह विरले सांसदों में रहे।

पांडेय ने बताया कि 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले योगी ने तमाम उपलब्धियों के बीच न केवल शानदार कार्यकाल पूरा किया है बल्कि सार्वजनिक जीवन में बेदाग छवि को भी बरकरार रखा है। पांच साल के दौरान उनकी खुद की जीवनचर्या संन्यासी की ही भांति रही। सादगीपूर्ण व अनुशासित जीवनशैली में तनिक भी परिवर्तन नहीं आया है। सम्भवत: वह प्रदेश के अबतक के इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने प्रदेश के हर जिले का कई बार दौरा करने के साथ नोएडा जाने के मिथक को भी तोड़ा है। पहले मुख्यमंत्री इस मिथक के भय से नोएडा नहीं जाते थे कि वहां जाने से सीएम की कुर्सी चली जाती है।

गिरीश पांडेय ने कहते हैं कि योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने देश के अंदर अपने परसेप्शन को बदला है। आज यूपी की पहचान एक सुरक्षित राज्य के रूप में है। आज देश के अंदर उत्तर प्रदेश बेहतर कानून व्यवस्था के रूप में जाना जाता है और अलग-अलग राज्यों में यहां के मॉडल को उतारने और उसको जानने की उत्सुकता भी रहती है।

 

 (आईएएनएस)

Created On :   25 March 2022 12:00 PM IST

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