गुजरात चुनाव में मतदान के लिए लग्जरी बस में सवार होकर पहुंचेंगे मतदाता, राजनीतिक दलों ने बड़ी संख्या में बुक की आलीशान बसें, मतदाताओं की खातिरदारी पर क्यों मजबूर पॉलिटिकल पार्टी
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डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात की 15वीं विधानसभा के लिए पहले चरण का मतदान में बस कुछ ही घटों का समय बाकी है। प्रदेश के 182 सीट पर दो चरणों में मतदान होने हैं। पहले चरण में 19 जिलों के 89 सीटों पर 1 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। वहीं दूसरे चरण में 93 सीटों पर 5 दिसंबर को मतदान होंगे। जबकि चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किया जाएगा। जिसके लिए सभी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हुए नजर आ रही हैं। हम इसी कड़ी में ऐसे मतदाताओं के बारे में जानेंगे जिन्हें साधने के लिए विभिन्न दल हर संभव प्रयास कर रहे हैं। गौरतलब है कि वो ऐसे मतदाता है जो अपना गांव छोड़ रोजगार के लिए दूसरे शहर में गए हुए हैं। जिन्हें लाने के लिए पार्टियां अपने-अपने तरीके से भरपूर प्रयास कर रही हैं।
आदिवासी समुदाय पर टिकी नजर
प्रदेश के दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात के कई क्षेत्रों में जैसे दाहोद, पंचमहाल, छोटा उदयपुर, नर्मदा, डांग, तापी जैसे इलाकों में काफी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। जिसकी वजह से इस पूरे क्षेत्र को आदिवासी बहुल इलाकों के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, आदिवासी लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए बड़ी संख्या में सौराष्ट्र उत्तर गुजरात को जाते हैं। वहीं वो तब घर आते हैं जब कोई बड़ा त्यौहार हो।
वे अपने क्षेत्र को छोड़ कर जाने को इसलिए मजबूर हैं क्योंकि उनके क्षेत्र में न ही कोई कल-करखाने है न कोई कमाई के साधन, जिसे वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। लेकिन इस बार का गुजरात चुनाव आदिवासी समुदाय के लिए बेहद खास होने वाला है। बात ये है कि सभी राजकीय पार्टियों की तरफ से वोटरों को साधने के लिए उनके कार्यस्थल से लेकर गांव तक लग्जरी बस चलाने का बीड़ा उठाया गया है। जिससे वो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। दिलचस्प यह है कि राजकीय पार्टी उन्हें अलग-अलग क्षेत्र से ढूढ-ढूढ कर उनके मतदान वाले क्षेत्र में लाने का प्रयास कर रही हैं।
लाखों में है मजदूरों की संख्या
हालांकि, ऐसे वोटरों की कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद तो नहीं है जिससे पता लगाया जा सके कि आखिर ये किस गांव में रहते हैं? लेकिन इनकी संख्या लाखों में हैं। जिसकी वजह से सारे राजकीय पार्टियों के नेताओं में होड़ लगी है कि कौन सबसे पहले पहुंच कर वोटरों को साधता है। ये सारे लोग मेहनत मजदूरी करने के लिए गुजरात के सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात क्षेत्र जाते हैं। जिसे लाने के लिए पार्टियां काफी एक्टिव मोड में नजर आ रही हैं। इस पूरे वाक्ये को जाहिर करते हुए एक स्थानीय नेता ने बताया कि इन मतदाताओं को लाने के लिए हर चुनाव में ख्याल रखा जाता है। यहां से उनके लिए ट्रक, लग्जरी बस, टेंपो भेजे जाते रहे हैं।
जितने दिन वे इस मतदान की वजह से अपने काम पर नहीं जाते तब तक उन्हें हम वेतन देते हैं ताकि उनकी जीविका चलती रहे। उनके आने और जाने में जितना खर्च लगता है वो पार्टियां ही उठाती हैं। इस पूरे सफर में इस बात का ख्याल रखा जाता है कि मजदूरों को किसी प्रकार के दिक्कतों का समाना ना करना पड़े। ये वैसे किसान मजदूर हैं जो सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के बड़े किसानों की जमीन पर पूरे परिवार के साथ खेतीबाड़ी को संभालते हैं। हालांकि अब देखना होगा डेढ़ से दो लाख संख्या में ये मजदूर कितने फायदे राजकीय पार्टियों को पहुंचाते हैं या अपने क्षेत्र में किसी और को अपना प्रतिनिधित्व चुनते हैं। इस बार के गुजरात चुनाव में तकरीबन 4.91 करोड़ लोग मतदान करने वाले हैं। जिसमें पहली बार 4.61 लाख युवा मतदान करने वाले हैं। जो किसी पार्टी की जीत व हार में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
Created On :   30 Nov 2022 6:20 PM IST