पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को पोस्टर पर दिखने न दिखने से नहीं पड़ता फर्क, चुनावी साल में एक्टिव हुईं राजे ने पुराने विवाद पर दी बेबाक राय
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान की सियासत में विवाद इन दिनों चरम पर है। राज्य की प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों में जुट गई हैं। दोनों पार्टियों के नेता प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में जाकर जनता को साधने में लगे हैं। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अब एक्टिव हो गई हैं। जगह-जगह जाकर लोगों से संपर्क साध रही हैं ताकि चुनाव में पार्टी को लाभ मिल सके। बता दें कि, केवल कांग्रेस में ही गुटबाजी नहीं चल रही है बल्कि राजस्थान भाजपा में भी अलग-अलग खेमा बंटा हुआ है। वसुंधरा राजे का भी एक अपने विधायकों का खेमा है। वसुंधरा राजे चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक दिवसीय अजमेर के दौरे पर गई हैं। जहां उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है कि चारों ओर चर्चा का विषय बना हुआ है।
पोस्टर पर क्या बोली राजे
दरअसल, अजमेर दौरे पर गई वसुंधरा राजे लोगों से पार्टी को वोट करने की अपील कर रही हैं। जबकि उनके अपील पर लोगों से राजे को अच्छा खासा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री को लोगों ने फूल माला पहनाकर अपने क्षेत्र में आने पर स्वागत किया। राजे ने अजमेर के मांगलियावास इलाके में स्थित कल्प वृक्ष मंदिर जाकर पूजा-अर्चना की। जहां पर उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि "राजनीति आती और जाती रहती है। कई बार जीते और हारे हैं। हमारे पोस्टर लगे या न लगे कभी शक्ल के साथ लगे कभी शक्ल के बिना लगे। लेकिन जब तक मेरे साथ जनता का प्यार है तब तक मुझे किसी भी चीज की जरूरत नहीं है।"
राजे को विश्वास है हाई कमान पर
पिछले चार सालों से राजस्थान की सियासत से वसुंधरा राजे गायब रही हैं। लेकिन इस साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बात का ध्यान रखते हुए राजे एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, वसुंधरा राजे को विश्वास है कि पार्टी हाईकमान उन्हें इस बार भी सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री फेस बनना राजे के लिए आसान नहीं होगा।
क्या है विवाद?
राजस्थान में करीब दो सालों से भाजपा के किसी भी बड़े इंवेट में वसुंधरा राजे को नहीं देखा गया है। यहां तक की प्रदेश की मुख्यमंत्री की कमान संभाल चुकी राजे को पोस्टर से भी अलग कर दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो, वसुंधरा राजे की प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से नहीं बनती है। तीनों नेताओं में किसी भी बात को लेकर समन्वय नहीं बन पाता था। जिसकी वजह से वसुंधरा धीरे-धीरे पार्टी से किनारा करने लगी और बीजेपी के कार्यक्रमों से अपने आप को दूर रखने लगी। लेकिन चुनाव से ऐन पहले वो एक बार पार्टी में सक्रिय देखी जाने लगी हैं। भाजपा से राजे के मुंह मोड़ने के बाद सतीश पूनिया और गुलाबचंद कटारिया ही पार्टी से जुडे़ अहम फैसले लेते थे। हर जगह इन्हीं दो नेताओं के तस्वीरें और होर्डिंग नजर आने लगे थी।
कांग्रेस भी है हमलावर
वसूंधरा की तस्वीर न लगाने पर कांग्रेस भी भाजपा को कई मर्तबा घेर चुकी है। कांग्रेस ने भाजपा को लेकर कहा था कि हमसे ज्यादा तो इनकी पार्टी में कलह है। पार्टी में वसूंधरा का कोई रोल नहीं है और वह अपना वजूद बचाने के लिए एक बार फिर सक्रिय हो गई हैं लेकिन उन्हें कुछ फायदा नहीं होने वाला है।
Created On :   18 Feb 2023 4:24 PM IST